पथ के साथी

Wednesday, March 15, 2023

1302-हृत्-तन्त्री पर

 रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु'

(रचना -काल-27-12-1972)


14 comments:

  1. अंतस को भिगोती बहुत गहरी अभिव्यक्ति

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  2. बहुत ही सुन्दर लिखा है आपने हार्दिक बधाई सर
    सादर
    सुरभि डागर

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  3. बहुत सुंदर अभिव्यक्ति। हार्दिक बधाई। सुदर्शन रत्नाकर

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  4. बहुत ही सुन्दर सृजन...हार्दिक बधाई भाईसाहब।

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  5. बहुत बहुत सुंदर

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  6. बहुत ही सुंदर रचना..कल कल बहती भावों की सरिता..भिगोती जाती अंतर्मन

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  7. सोई भीगी आँखों में / अनुराग जागकर चला गया
    बहुत ही भावपूर्ण रचना
    नमन गुरुवर

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  8. बहुत ही सुंदर भावपूर्ण गीत।
    हार्दिक बधाई गुरुवर 🌷💐🌹

    सादर

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  9. अंतस के कोमल भावों की सुंदर अभिव्यक्ति।हार्दिक बधाई।

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  10. बहुत सुंदर रचना। धन्यवाद आदरणीय!

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  11. बहुत भावपूर्ण गीत!भावनाओं में बहाने वाला। बहुत-बहुत बधाई।

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  12. बहुत ही सुंदर भावों से परिपूर्ण आपकी रचनाएं |बहुत सारी बधाई ! श्याम हिन्दी चेतना

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  13. मेरी कविता को सराहने के लिए आप सभी आत्मीयजन का हार्दिक आभार ।

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  14. अतिसुन्दर एवं भावपूर्ण गीत ! नमन आपको !

    सादर
    अनिता ललित

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