रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु'
(रचना -काल-27-12-1972)
अंतस को भिगोती बहुत गहरी अभिव्यक्ति
बहुत ही सुन्दर लिखा है आपने हार्दिक बधाई सर सादर सुरभि डागर
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति। हार्दिक बधाई। सुदर्शन रत्नाकर
बहुत ही सुन्दर सृजन...हार्दिक बधाई भाईसाहब।
बहुत बहुत सुंदर
बहुत ही सुंदर रचना..कल कल बहती भावों की सरिता..भिगोती जाती अंतर्मन
सोई भीगी आँखों में / अनुराग जागकर चला गया बहुत ही भावपूर्ण रचना नमन गुरुवर
बहुत ही सुंदर भावपूर्ण गीत।हार्दिक बधाई गुरुवर 🌷💐🌹सादर
अंतस के कोमल भावों की सुंदर अभिव्यक्ति।हार्दिक बधाई।
बहुत सुंदर रचना। धन्यवाद आदरणीय!
बहुत भावपूर्ण गीत!भावनाओं में बहाने वाला। बहुत-बहुत बधाई।
बहुत ही सुंदर भावों से परिपूर्ण आपकी रचनाएं |बहुत सारी बधाई ! श्याम हिन्दी चेतना
मेरी कविता को सराहने के लिए आप सभी आत्मीयजन का हार्दिक आभार ।
अतिसुन्दर एवं भावपूर्ण गीत ! नमन आपको !सादर अनिता ललित
अंतस को भिगोती बहुत गहरी अभिव्यक्ति
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर लिखा है आपने हार्दिक बधाई सर
ReplyDeleteसादर
सुरभि डागर
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति। हार्दिक बधाई। सुदर्शन रत्नाकर
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर सृजन...हार्दिक बधाई भाईसाहब।
ReplyDeleteबहुत बहुत सुंदर
ReplyDeleteबहुत ही सुंदर रचना..कल कल बहती भावों की सरिता..भिगोती जाती अंतर्मन
ReplyDeleteसोई भीगी आँखों में / अनुराग जागकर चला गया
ReplyDeleteबहुत ही भावपूर्ण रचना
नमन गुरुवर
बहुत ही सुंदर भावपूर्ण गीत।
ReplyDeleteहार्दिक बधाई गुरुवर 🌷💐🌹
सादर
अंतस के कोमल भावों की सुंदर अभिव्यक्ति।हार्दिक बधाई।
ReplyDeleteबहुत सुंदर रचना। धन्यवाद आदरणीय!
ReplyDeleteबहुत भावपूर्ण गीत!भावनाओं में बहाने वाला। बहुत-बहुत बधाई।
ReplyDeleteबहुत ही सुंदर भावों से परिपूर्ण आपकी रचनाएं |बहुत सारी बधाई ! श्याम हिन्दी चेतना
ReplyDeleteमेरी कविता को सराहने के लिए आप सभी आत्मीयजन का हार्दिक आभार ।
ReplyDeleteअतिसुन्दर एवं भावपूर्ण गीत ! नमन आपको !
ReplyDeleteसादर
अनिता ललित