पथ के साथी

Monday, February 6, 2023

1284-3 मुक्तक

 रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु'


12 comments:

  1. वाह, बेहतरीन । सर ! बसंतोत्सव तो भारत मना रहा है, लगता है माता सरस्वती जी भी आपके साथ कनाड़ा गयी हैं , लौट आओ सर ,हम भी कुछ अच्छा लिखना चहाते हैं ।

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  2. बहुत सुंदर मुक्तक। हार्दिक अभिनन्दन आपका।

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  3. वाह भाई काम्बोज जी | बहुत खूब ,आपके लेखन का जवाब नहीं है |बधाई बधाई |सविता अग्रवाल 'सवि' कैनेडा

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  4. बहुत सुन्दर मुक्तक

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  5. बहुत ही बढ़िया मुक्तक।

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  6. उत्कृष्ट मर्मस्पर्शी मुक्तक। लेखनी को नमन। सुदर्शन रत्नाकर

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  7. कोमल मार्मिक मुक्तक! मन को छू गए!

    ~सादर
    अनिता ललित

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  8. वेदना से परिपूर्ण रचना आपकी अनमोल कृति है |बहुत ही हृदय स्पर्शी | श्याम -हिन्दी चेतना

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  9. बहुत ही सार्थक लेखन किया आपने ।
    सादर
    सुरभि डागर

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  10. बहुत ही सुंदर एवं भावपूर्ण सृजन।
    आदरणीय गुरुवर को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएँ 💐🌷

    सादर

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  11. तीन मुक्तक बहुत ही मर्मस्पर्शी
    अंतिम वाला तो बहुत ही बढ़िया
    नमन एवं बधाई गुरुवर

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  12. बहुत सुन्दर भाव के मुक्तक । हार्दिक बधाई आपको हिमांशु भाई ।
    विभा रश्मि

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