पथ के साथी

Sunday, January 22, 2023

1275

 पिता नहीं उफ़ करता है

पीयूष श्रीवास्तव

 

सुबह सवेरे घर से मेरे, एक कर्मठ राही निकलता है

दिन भर धूप से लेता लोहा, सूरज के संग जलता है


होती हो बादल की गर्जन
, या घिर जाए भीषण बरसात,

उस राही की आँखों में भाई, इन सब की नहीं कोई बिसात

हर मुश्किल हर कठिनाई से, लड़ने की हिम्मत रखता है

खून पसीना इक हो जाए पर, पिता नहीं उफ़ करता है

 

नन्हे- नन्हे बच्चों की अपने, हर इच्छापूर्ति करता है

माँ की साड़ी, दादी की ऐनक, हर कमी को हँसके भरता है

हो पूरे घर की जिम्मेदारी, या रिश्तों की दुनियादारी


परिवार की राह में जो आ
ए, उस पर्वत पर भी ये भारी

जूता उसका काटे चाहे, मोजों से अँगूठा निकलता है

कुर्ते में कितने छेद सही पर, पिता नहीं उफ़ करता है

 

कंधों पर अपने बैठा कर, सारा ये जगत दिखलाते हैं

जितना ख़ुद भी न सीख सके, उसके आगे सिखलाते हैं

छाती नकी तब फूलती है, बच्चे जब उन्नति करते हैं

काँधे से उतरकर नीचे जब, जीवन में खूब निखरते हैं

अपने सामर्थ्य से आगे बढ़, उम्मीदों की खरीदी करता है

डगर में हों कितने भी शूल पर, पिता नहीं उफ़ करता है

 

क्यों नहीं कभी ये कहते हैं, अपने मन की सारी बातें

क्यों नहीं कभी बतलाते हैं, कितना ये हम सबको चाहें

माँ की आँखें नम देखी हैं, पर इनकी आँखें बस रूखी हैं

कई बार यही इक छाप बनी, की इनकी भावना सूखी हैं

कोमल-सा हृदय होते भी हुए, हर पल चट्टान-सा रहता है

हो जाए मन कितना घायल पर, पिता नहीं उफ़ करता है।

 

आ जाओ मिलकर आज इन्हें, हम गले लगा इक काम करें

चूम लें इनके हाथों को और छूकर पैर प्रणाम करें

जब सीने से इन्हें लगाओगे, थोड़ा-सा ये चकराएँगे

थोड़े से होंगे भाव विह्वल, थोड़ी सख्ती दिखलाएँगे

फिर चोरी-चोरी आँखों से, एक बूँद ओस की हरता है

भावुक मन की आँखें दर्पण पर, पिता नहीं उफ़ करता है

-0-

76 Chelsea Crescent, Bradford, L3Z0J7

(कनाडा)

19 comments:

  1. पीयूष जी बहुत उत्तम कविता है। बधाई। सविता अग्रवाल “ सवि”

    ReplyDelete
    Replies
    1. पीयूष30 January, 2023 05:41

      आपका अनेकानेक धन्यवाद सविता जी। 🙏🙏

      Delete
  2. परिवार के लिए पिता के समर्पण,संघर्ष और भावाकुलता की सुंदर कविता।बधाई पीयूष जी

    ReplyDelete
    Replies
    1. पीयूष30 January, 2023 05:43

      आपके हृदय को मेरी कविता ने छुआ मेरा सौभाग्य। 🙏🙏

      Delete
  3. बहुत सुंदर कविता! पिता के रूप का यथार्थ चित्रण!

    ~सादर
    अनिता ललित

    ReplyDelete
    Replies
    1. पीयूष30 January, 2023 05:44

      आपको अनेकानेक धन्यवाद। पिता की रूप कितना प्यारा। 🙏🙏

      Delete
  4. अति उत्तम कविता,भावपूर्ण। हार्दिक बधाई सर।

    ReplyDelete
    Replies
    1. पीयूष30 January, 2023 05:45

      मेरी कविता आपको अच्छी लगी मेरा सौभाग्य 🙏🙏

      Delete
  5. उत्तम भावपूर्ण अभिव्यक्ति। भावुक मन की आँखें दर्पण, पर उफ़ नहीं करता है। बहुत सुंदर। सुदर्शन रत्नाकर

    ReplyDelete
    Replies
    1. पीयूष30 January, 2023 05:46

      आपने समय निकाल कर मेरी कविता को पढ़ा मेरा सौभाग्य। 🙏🙏

      Delete
  6. सुंदर कविता

    ReplyDelete
    Replies
    1. पीयूष30 January, 2023 05:46

      अनेकों धन्यवाद आपका

      Delete
  7. पिता के त्याग, समर्पण का सुंदर चित्रण।
    हार्दिक बधाई आदरणीय 💐🌷🌹

    सहज साहित्य परिवार में आपका स्वागत है।

    सादर

    ReplyDelete
    Replies
    1. आपको आकाश भर धन्यवाद। 🙏🙏

      Delete
  8. बहुत उम्दा भावपूर्ण रचना...बहुत-बहुत बधाई पीयूष जी।

    ReplyDelete
    Replies
    1. आपका अनेकानेक धन्यवाद। 🙏🙏

      Delete
  9. सदाबहार रचना! बधाई पीयूष जी।

    ReplyDelete
    Replies
    1. पीयूष30 January, 2023 05:48

      आपको बहुत बहुत धन्यवाद। 🙏🙏

      Delete
  10. बहुत सुन्दर कविता है, मेरी बधाई पीयूष जी को

    ReplyDelete