पथ के साथी

Monday, November 14, 2022

1259-काली स्त्रियाँ

 रश्मि विभा त्रिपाठी



17 comments:

  1. बहुत ही सुंदर लिखा। लोकमत में प्रकाशित होना गर्व का विषय। हार्दिक बधाई शुभकामनाएं।

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  2. www.nilambara.shailputri.in14 November, 2022 16:43

    बहुत ही सुंदर लिखा। लोकमत में प्रकाशित होना गर्व का विषय। हार्दिक बधाई शुभकामनाएं।

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  3. बहुत सुंदर रचना रश्मि जी
    स्त्रियाँ काली नहीं होतीं।बहुत मार्मिक है रचना। स्त्रियाँ क्या - क्या नहीं झेलतीं भला।
    आपको शुभकामनाएं।

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  4. आदरणीय गुरुवर का हार्दिक आभार।

    आदरणीया डॉ कविता दीदी और निर्देश निधि दीदी की टिप्पणी की हृदय तल से आभारी हूँ।

    सादर

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  5. नारी नियति और मनोविज्ञान को निरूपित करती सशक्त रचना।बहुत बहुत बधाई रश्मि जी

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  6. बहुत ही सशक्त एवं मार्मिक रचना ।कोटिशः बधाइयाँ प्रिय रश्मि जी।

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  7. बहुत सुंदर

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  8. बहुत सुन्दर सृजन... हार्दिक बधाई

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  9. मर्मस्पर्शी,प्रभावशाली कविता। हार्दिक बधाई रश्मि जी। सुदर्शन रत्नाकर

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  10. बहुत सुंदर सृजन

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    1. आप सभी आत्मीय जन की टिप्पणी की हृदय से आभारी हूँ।

      सादर

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  11. बहुत गहरे तक सोचने को मजबूर करती इस सुन्दर कविता के लिए प्रिय रश्मि को ढेरों बधाई

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  12. भावपूर्ण एवं गहन सृजन हेतु बहुत-बहुत बधाई प्रिय रश्मि!

    ~सस्नेह
    अनिता ललित

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  13. बहुत ही सुन्दर और सार्थक सृजन

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  14. ह्रदयस्पर्शी अभिव्यक्ति!!

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  15. सुंदर सृजन

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  16. सुंदर भावों से सिंचित कविता के सृजन और लोकमत में प्रकाशन हेतु रश्मि जी को बधाई ।।

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