रश्मि विभा त्रिपाठी
बहुत ही सुंदर लिखा। लोकमत में प्रकाशित होना गर्व का विषय। हार्दिक बधाई शुभकामनाएं।
बहुत ही सुंदर लिखा। लोकमत में प्रकाशित होना गर्व का विषय। हार्दिक बधाई शुभकामनाएं।ReplyDelete
बहुत सुंदर रचना रश्मि जीस्त्रियाँ काली नहीं होतीं।बहुत मार्मिक है रचना। स्त्रियाँ क्या - क्या नहीं झेलतीं भला।आपको शुभकामनाएं।
आदरणीय गुरुवर का हार्दिक आभार। आदरणीया डॉ कविता दीदी और निर्देश निधि दीदी की टिप्पणी की हृदय तल से आभारी हूँ।सादर
नारी नियति और मनोविज्ञान को निरूपित करती सशक्त रचना।बहुत बहुत बधाई रश्मि जी
बहुत ही सशक्त एवं मार्मिक रचना ।कोटिशः बधाइयाँ प्रिय रश्मि जी।
बहुत सुंदर
बहुत सुन्दर सृजन... हार्दिक बधाई
मर्मस्पर्शी,प्रभावशाली कविता। हार्दिक बधाई रश्मि जी। सुदर्शन रत्नाकर
बहुत सुंदर सृजन
आप सभी आत्मीय जन की टिप्पणी की हृदय से आभारी हूँ।सादर
बहुत गहरे तक सोचने को मजबूर करती इस सुन्दर कविता के लिए प्रिय रश्मि को ढेरों बधाई
भावपूर्ण एवं गहन सृजन हेतु बहुत-बहुत बधाई प्रिय रश्मि!~सस्नेह अनिता ललित
बहुत ही सुन्दर और सार्थक सृजन
ह्रदयस्पर्शी अभिव्यक्ति!!
सुंदर सृजन
सुंदर भावों से सिंचित कविता के सृजन और लोकमत में प्रकाशन हेतु रश्मि जी को बधाई ।।
बहुत ही सुंदर लिखा। लोकमत में प्रकाशित होना गर्व का विषय। हार्दिक बधाई शुभकामनाएं।
ReplyDeleteबहुत ही सुंदर लिखा। लोकमत में प्रकाशित होना गर्व का विषय। हार्दिक बधाई शुभकामनाएं।
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बहुत सुंदर रचना रश्मि जी
ReplyDeleteस्त्रियाँ काली नहीं होतीं।बहुत मार्मिक है रचना। स्त्रियाँ क्या - क्या नहीं झेलतीं भला।
आपको शुभकामनाएं।
आदरणीय गुरुवर का हार्दिक आभार।
ReplyDeleteआदरणीया डॉ कविता दीदी और निर्देश निधि दीदी की टिप्पणी की हृदय तल से आभारी हूँ।
सादर
नारी नियति और मनोविज्ञान को निरूपित करती सशक्त रचना।बहुत बहुत बधाई रश्मि जी
ReplyDeleteबहुत ही सशक्त एवं मार्मिक रचना ।कोटिशः बधाइयाँ प्रिय रश्मि जी।
ReplyDeleteबहुत सुंदर
ReplyDeleteबहुत सुन्दर सृजन... हार्दिक बधाई
ReplyDeleteमर्मस्पर्शी,प्रभावशाली कविता। हार्दिक बधाई रश्मि जी। सुदर्शन रत्नाकर
ReplyDeleteबहुत सुंदर सृजन
ReplyDeleteआप सभी आत्मीय जन की टिप्पणी की हृदय से आभारी हूँ।
Deleteसादर
बहुत गहरे तक सोचने को मजबूर करती इस सुन्दर कविता के लिए प्रिय रश्मि को ढेरों बधाई
ReplyDeleteभावपूर्ण एवं गहन सृजन हेतु बहुत-बहुत बधाई प्रिय रश्मि!
ReplyDelete~सस्नेह
अनिता ललित
बहुत ही सुन्दर और सार्थक सृजन
ReplyDeleteह्रदयस्पर्शी अभिव्यक्ति!!
ReplyDeleteसुंदर सृजन
ReplyDeleteसुंदर भावों से सिंचित कविता के सृजन और लोकमत में प्रकाशन हेतु रश्मि जी को बधाई ।।
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