रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु' [20-03-1077 , स्मारिका देहरादून, अप्रैल 77] में प्रकाशित
बहुत ही सुंदर रचनाधर्मिता।
उत्तम श्रेणी की कविता!
उजियारे से डरने वालो/बिना किए न हो परिवर्तन...बहुत सुंदर,सदा नवीन एवं प्रासंगिक रहने वाली रचनाएँ।
संध्या से इतिहास सजा लो, प्रातः से संकल्प बनालो! सदाबहार रचना, धन्यवाद आदरणीय।
बहुत सुंदर, सार्थक, प्रेरक।
सुंदर संदेश देती उत्तम कविता। सुदर्शन रत्नाकर
बहुत ही सुंदर संदेश देती कविता।हार्दिक बधाई गुरुवर। सादर
संदेशप्रद रचना. रचना भले ही पुरानी है लेकिन हर समय-काल के लिए सटीक है. साझा करने के लिए आभार. बधाई भइया.
आप सभी स्नेहीजन के प्रोत्साहन के लिए आभारी हूँ कि आपने समय निकालकर रचना पढ़ी और सराही।
आज भी प्रासंगिक है आपकी रचनाएँ सुंदर सृजन बधाई गुरुवर
कितना सत्य है!!! वास्तव में... एक एक शब्द हृदयस्पर्शी है 🙏🌹सर
बहुत ही सुंदर प्रेरक कविता।
बहुत सुन्दर, प्रेरणादायक कविता के लिये हार्दिक बधाई हिमांशु भाई
इन ओजपूर्ण रचनाओं के लिए आदरणीय काम्बोज जी को बहुत बधाई
बहुत ही सुंदर रचनाधर्मिता।
ReplyDeleteउत्तम श्रेणी की कविता!
ReplyDeleteउजियारे से डरने वालो/बिना किए न हो परिवर्तन...बहुत सुंदर,सदा नवीन एवं प्रासंगिक रहने वाली रचनाएँ।
ReplyDeleteसंध्या से इतिहास सजा लो, प्रातः से संकल्प बनालो! सदाबहार रचना, धन्यवाद आदरणीय।
ReplyDeleteबहुत सुंदर, सार्थक, प्रेरक।
ReplyDeleteसुंदर संदेश देती उत्तम कविता। सुदर्शन रत्नाकर
ReplyDeleteबहुत ही सुंदर संदेश देती कविता।
ReplyDeleteहार्दिक बधाई गुरुवर।
सादर
संदेशप्रद रचना. रचना भले ही पुरानी है लेकिन हर समय-काल के लिए सटीक है. साझा करने के लिए आभार. बधाई भइया.
ReplyDeleteआप सभी स्नेहीजन के प्रोत्साहन के लिए आभारी हूँ कि आपने समय निकालकर रचना पढ़ी और सराही।
ReplyDeleteआज भी प्रासंगिक है आपकी रचनाएँ
ReplyDeleteसुंदर सृजन
बधाई गुरुवर
कितना सत्य है!!! वास्तव में... एक एक शब्द हृदयस्पर्शी है 🙏🌹सर
ReplyDeleteबहुत ही सुंदर प्रेरक कविता।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर, प्रेरणादायक कविता के लिये हार्दिक बधाई हिमांशु भाई
ReplyDeleteइन ओजपूर्ण रचनाओं के लिए आदरणीय काम्बोज जी को बहुत बधाई
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