पथ के साथी

Saturday, May 7, 2022

1205-माँ की उँगलियाँ

आशमा कौल

 


इस उम्र में भी माँ

फेरती है बालों में

जब प्यार से उँगलियाँ

अचानक बरसों पुरानी

नींद लौट आती है

 

                 इन बरकती उँगलियों की

                 थिरकन से बनी रोटियाँ

                 जैसे जन्मों की भूख

                 मिट जाती है

 

न जाने इन उँगलियों में कैसा

अजब सा जादू है

यह ढलती उम्र को

बचपन बनाती हैं

 

 

                 पुरानी यादों के

                 झरोखे से

                 जादूगरी यह उँगलियाँ

                 सपनों में

                 परियाँ दिखाती है

 

बिखरे-उलझे जीवन से

संजीदगी दर-किनार कर

रोना सिखाती है

हमें हँसना सिखाती है

                 इन फनकार उँगलियों की

                  मधुर थाप

                 थकन रस्ते की दूर कर

                 मंजिल पर लाती है

 और चूम कर चेहरा हमारा

ले हथेलियों में

माँ हमें

दुनिया दिखाती है

 

इन उँगलियों पर

गिनकर जीवन का गणित

माँ हमें हर हाल में

जीवन का हल बताती है

                 गहन सोच की वीरानियों में

                 गुम होते हैं जब हम

                 यह उँगलियाँ प्यार से

                 कितना रिझाती है

 पोंछकर संदेह की गर्द

जिंदगी के आइने से

माँ की उँगलियाँ हमें

सबका असली चेहरा

दिखाती है

                 यह खुदगर्ज दुनिया

                 बिछाती है हमारे सामने

                 जब मुश्किलों की बिसात

                                    तब माँ, हर चक्रव्यूह को

भेदना सिखाती है।

-0-

कृषि मंत्रालय , भारत सरकार की सेवा निवृत्त अधिकारी

14 comments:

  1. मातृ दिवस पर बहुत सुंदर कविता।बधाई आशमा कौल जी।

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    1. आपका बहुत बहुत आभार 🙏

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  2. माँ पर लिखी बहुत ही सुंदर , भावपूर्ण कविता।
    हार्दिक बधाई आदरणीया 🌷💐🌹
    सहज साहित्य परिवार में आपका स्वागत है।

    सादर

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  3. बहुत सुंदर कविता, आश्मा जी को बधाई।

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  4. सच में माँ कीं उँगलियों में जादू होता है। बहुत सुंदर भावपूर्ण कविता। हार्दिक बधाई आशमा।

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  5. सच में माँ कीं उँगलियों में जादू होता है। बहुत सुंदर भावपूर्ण कविता। हार्दिक बधाई आशमा। सुदर्शन रत्नाकर

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  6. बहुत सुन्दर कविता, हार्दिक शुभकामनाएँ ।

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  7. आदरणीय सुदर्शन दीदी और सभी साहित्यकारों और पाठकों का बहुत आभार 🙏

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  8. बहुत सुंदर कविता... हार्दिक बधाई आश्मा जी।

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  9. Replies
    1. अत्यंत सुंदर.. मर्मस्पर्शी रचना 🌹🌹🌹🌹🙏🙏🙏

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  10. सच कहा - .....तब माँ, हर चक्रव्‍यूह को / भेदना सिखाती है।
    बहुत ही प्यारी कविता
    बधाई आशमा जी

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  11. बहुत बहुत आभार 🙏🌺

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  12. बहुत बहुत आभार 🙏

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