रश्मि विभा त्रिपाठी
1
शक्तिस्वरूपा
स्तुति कल्याणकारी
है भयहारी
तप औ आराधन
माँ मुक्ति का साधन ।
2
नित आह्वान
शुचिता धरे ध्यान
आरती- गान
गाते हैं मन- प्राण
माता करो कल्याण।
3
नहीं जानती
व्रत- पूजा- विधान
माँ मैं अजान
श्रद्धा- दीप से करूँ
तुम्हारा स्तुति- गान ।
4
पाठ, स्तवन
मंत्रोच्चार, हवन
माता मैं व्रती
न जानूँ पूजा- विधि
स्वीकारो श्रद्धा- निधि ।
5
पूर्ण कामना
कृतकृत्य भावना
माता- वंदन
भगाए बाधा- बला
धन्य ! 'सर्वमंगला'।
6
आरती गाऊँ
आस्था- दीप जलाऊँ
मैं अकिंचन
माँ क्या करूँ अर्पण
वारूँ भाव- भूषण ।
7
आरती थाल
शुचि- दीपक बाल
करे अर्चना
मुग्ध मन- मराल
माता करे निहाल ।
8
जगज्जननी
सृष्टि की संचालक
शक्तिदायिनी
तू जीवन आधार
करे भव से भार।
9
मुक्त कण्ठ से
मन करे उच्चार
माता स्तवन
भेंटे जो श्रद्धा हार
खुले मुक्ति के द्वार ।
10
शुभागमन
श्री- पग प्रक्षालन
वरदहस्त
धरो माँ मेरे शीश
दो दिव्य शुभाशीष।
11
पावन पर्व
करें गान गंधर्व
मुग्ध अथर्व
आद्या मंत्रोच्चारण
आधि- व्याधि मारण ।
12
पर्व विशेष
करो गृह- प्रवेश
सिंहवाहिनी
दो आशीष अशेष
माँ हरो दु:ख-क्लेश।
-0-
बहुत सुंदर शब्दों में माँ जगदंबा की स्तुति की है रश्मि जी हार्दिक बधाई।
ReplyDeleteहार्दिक आभार आदरणीया ।
Deleteसादर 🙏🏻
उत्तम तांका रचनाओं द्वारा नवरात्रि के अवसर पर भक्तिमय वातावरण के सृजन हेतु बधाई.
ReplyDeleteहार्दिक आभार आदरणीय ।
Deleteसादर 🙏🏻
नवरात्रि के पावन अवसर का सुंदर वर्णन करते ताँका! हार्दिक बधाई रश्मि विभा जी!
ReplyDelete~सादर
अनिता ललित
हार्दिक आभार आदरणीया।
Deleteसादर 🙏🏻
बहुत उम्दा ताँका सृजन... हार्दिक बधाई रश्मि विभा जी।
ReplyDeleteहार्दिक आभार आदरणीया।
Deleteसादर 🙏🏻
बहुत सुंदर लेखन, हार्दिक बधाई शुभकामनाएं।
ReplyDeleteहार्दिक आभार आदरणीया दीदी।
Deleteसादर 🙏🏻
सुंदर ताँका।
ReplyDeleteदशहरा पर्व की हार्दिक बधाई, शुभकामनाएं
बहुत बढ़िया तांका हैं, बहुत बधाई |
ReplyDelete