पथ के साथी

Wednesday, October 6, 2021

1141- मेरी विनती इतनी है

 रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु' 

19 comments:

  1. कितना सुंदर लिखा है भैया

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  2. उसका मन है नव कलिका सा
    अन्तर्मन तुम चीर न देना।

    वाह!

    बहुत सुन्दर व भावपूर्ण रचना पढ़वाने के लिए हार्दिक आभार आदरणीय भैयाजी।

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  3. मैं संध्या का सूरज ठहरा....अति सुंदर रूपक। पावन समर्पण का भाव लिए बहुत ही उत्कृष्ट रचना।

    आप कर्मयोद्धा हैं भैया। कर्म कभी बूढ़ा नहीं होता।
    नमन आपको 🙏

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  4. बहुत ही प्यारी कविता गुरु जी।बहुत अच्छा लगा पढ़ के।

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  5. पुनीत प्रेम की यह निस्वार्थ कामना कि सभी अभिशाप दुख संताप वह स्वयं अपने सर उठा ले, स्नेही जनों के पथ में तो केवल फूल ही फूल बिछे हों, सच्चे हृदय की इस भावना का अभिनंदन, वन्दन 💐🌷

    इस अनुपम सृजन की हार्दिक बधाई

    सादर 🙏🏻

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  6. बहुत ही खूबसूरत लय, गहरा प्रभाव छोड़ती कविता लिखी है सर !हार्दिक शुभकामनाएँ ।

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  7. कितनी समर्पण भाव वाली प्रेम पूर्ण कविता।

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  8. वाह...मेरे प्रिय को पीर न देना..उदात्त प्रेम के कोमल भावों की सहज अभिव्यक्ति,मन को छह लेने वाला मोहक गीत।आपकी लेखनी को नमन।

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  9. बहुत ही सुंदर रचना।
    मेरे प्रिय को पीर ना देना
    आपके सुंदर शब्दों और भावों का क्या कहना

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  10. शुद्ध प्रेम की मधुरिम अनुभूति। हार्दिक बधाई आपको।

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  11. मेरे प्रिय को पीर न देना, बहुत ही सुंदर भावपूर्ण अभिव्यक्ति।

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  12. अतिशय सुंदर। हार्दिक बधाई आपको।

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  13. हृदय की गहराइयों से निकली भावों की ऊँचाई की छूती सुंदर रचना ।

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  14. हृदय से निकली कविता है भाई कामबोज जी। प्रेम की गागर छलकाती कविता है । हार्दिक बधाई स्वीकारें।

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  15. एक-एक शब्द निःस्वार्थ प्रेम से परिपूर्ण है! आदरणीय भैया जी, आपको एवं आपकी लेखनी को नमन!

    ~सादर
    अनिता ललित

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  16. उसका मन है नव कलिका-सा ....
    मैं संध्या का सूरज ठहरा...
    पीड़ा मेरे हिस्से आए ...
    सुन्दर... उत्कृष्ट... भावपूर्ण शब्द


    बहुत ही भावपूर्ण, प्रेमपूर्ण सुन्दर रचना
    गुरुवर को नमन
    सुंदर सृजन के लिए हार्दिक बधाइयाँ

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  17. बहुत सुंदर सृजन आदरणीय, निष्छल ह्रदय के कोमल भाव!बहुत बहुत धन्यवाद

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  18. बहुत भावपूर्ण रचना,सादर नमन।

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  19. मन की कोमल भावनाओं को उकेरती बहुत सुन्दर रचना के लिए हार्दिक बधाई स्वीकारें |

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