पथ के साथी

Friday, September 10, 2021

1130-3 मुक्तक

 रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु'


15 comments:

  1. उदात्त भावयुक्त मुक्तक तीनों। अंतर में अनुराग पले- बहुत सुंदर लय। बधाई आदरणीय।

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  2. हार्दिक शुभकामनाएँ सर ! बहुत अच्छे मुक्तक हैं ।

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  3. सभी मुक्तक बहुत सुंदर,भावुक मन के उदात्त भावनाओ की सहज अभिव्यक्ति।हार्दिक बधाई।

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  4. सहज सरल शब्दों में अनुपम भाव लिए उत्कृष्ट सृजन ... सादर 🙏🏼🙏🏼

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  5. मर्मस्पर्शी सुंदर मुक्तक
    हार्दिक बधाई

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  6. बहुत सुंदर तीनों मुक्तक...हार्दिक बधाई।

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  7. सभी मुक्तक बहुत सुन्दर व भावपूर्ण... हार्दिक बधाई भैया जी!

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  8. बहुत सुंदर, भावपूर्ण रचनाएँ, धन्यवाद आदरणीय!

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  9. तीनों ही मुक्तक शानदार

    'अंतर में अनुराग पले' अति सुंदर
    'कलुषित मन के भाले पर वे, सबके शीश उछालेंगे' शानदार, धारदार मुक्तक ।

    उत्कृष्ट सृजन आदरणीय भैया। प्रणाम

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  10. उत्कृष्ट सृजन हेतु हार्दिक बधाई आदरणीय।

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  11. मुक्तक पसन्द करने के लिए आप सबका हार्दिक आभार

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  12. बहुत सुंदर मुक्तक है गुरु जी।गहराई भरे।सत्यता को धारण किए सुंदर भाव।💐

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  13. अनुपम, भावपूर्ण मुक्तक। उत्कृष्ट सृजन के लिए हार्दिक बधाई।

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  14. उत्कृष्ट मुक्तक... सभी मर्मस्पर्शी भाव लिए हुए हैं। आदरणीय रामेश्वर सर आपको हार्दिक बधाई।

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  15. अप्रतिम और मनभावन मुक्तक के लिए हार्दिक बधाई

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