दोहे
1
सुधियाँ करती गुदगुदी, चुप हो बैठी पास।
अधरों की मुस्कान में, प्रीत भरा अहसास।।
2
आँसू का ही संस्मरण, लिखती है हर आँख।
आसमान से आ गिरी, छोड़ उड़ानें पाँख।।
3
खेतों में उगने लगी, दोनाली बन्दूक।
खुशियों की कोयल उड़ी, भूल प्रेम की कूक।।
4
छत से ऊँची हो गई, आँगन की दीवार।
लील गई खुशियाँ सभी, आपस की तकरार।।
5
आ बैठी चौपाल में, घर भीतर की बात।
पथ सूरज का देखती, घोर अँधेरी रात।।
6
बैठी छत दीवार पर, हमको लगे मकान।
आ जाते हैं लोग घर, थामे हाथ थकान।।
7
धागे मिल अवसाद के, बुनते जायें थान।
पढ़े उदासी रात दिन, दुख का ज्यों दीवान।।
8
लोकतंत्र के गाँव में, खेलें मिलकर दाँव।
जनता तपती धूप में, नेता भोगें छाँव।।
9
धूप नहाई तितलियाँ, महक़
बिखेरें फूल।
दो पल की जादूगरी, बन जाएगी धूल।।
10
बैठ हवा के पालने, मेघ रहे हैं डोल।
धरती कब से सुन रही, इन सबके बड़बोल।।
11
सम्बन्धों की देहरी, रहती अब सुनसान
जीता बनकर अज़नबी, इस युग का इंसान ।।
12
पनघट पनघट प्यास है, पनघट पनघट नीर।
जिसको जैसा सूझता, बाँचे वो तहरीर।।
13
हम तो रखकर चल रहे, अंगारों पर पाँव।
अपना साया कब करे, ख़ुद पर अपनी छाँव।।
14
जाने किसने धर दिया, अंधे हाथ-चराग।
कभी दिखाये सूर्य को, कभी लगाये आग।।
15
अपने हिस्से रतजगे, उनके हिस्से चैन।
लगे बीतने आजकल, बुझे-बुझे दिन रैन।।
बेहतरीन दोहे, हार्दिक शुभकामनाएँ ।
ReplyDeleteबहुत आभारी हूँ।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर दोहे।
ReplyDeleteहार्दिक बधाई आदरणीया।
सादर
बहुत सुंदर दोहे,बधाई अनिता जी।
ReplyDeleteवाह! बहुत सुंदर दोहे अनिता जी, आपको बधाई!
ReplyDeleteसुन्दर दोहे, हार्दिक बधाई
ReplyDeleteबेहतरीन दोहे रचे हैं अनिता जी हार्दिक बधाई।
ReplyDeleteबहुत अच्छे दोहे हैं सभी, हार्दिक बधाई अनीता को |
ReplyDeleteबहुत सुंदर दोहे।हार्दिक बधाई।
ReplyDeleteबहुत सुंदर दोहे। हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं।-परमजीत कौर'रीत'
ReplyDeleteबहुत सुंदर दोहे,हार्दिक बधाई प्रिय अनिता जी!
ReplyDeleteबहुत अर्थपूर्ण दोहे, बधाई अनिता जी.
ReplyDeleteबहुत ही खूबसूरत शानदार सटीक दोहे
ReplyDeleteअनिता जी
जुग जुग जियो