पथ के साथी

Tuesday, June 1, 2021

1113-्क्षणिकाएँ


 

19 comments:

  1. वाह! एक से बढ़कर एक बेहतरीन क्षणिकाएँ! हार्दिक बधाई कृष्णा जी!

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  2. कृष्णा जी आपकी रचना में जो पीड़ा है "खुद नहीं मरता है इन्सान - लोगों के लफ्ज़ और रवैये जीने नहीं देता " कितनी इमानदारी से आपने सबकुछ ही कह दिया | बहुत ही हृदयविदारक रचना के लिए बधाई !श्याम हिन्दी चेतना

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  3. वाह , बेहतरीन •••हार्दिक शुभकामनाएँ ।

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  4. बहुत ही मार्मिक क्षणिकाएँ, हार्दिक बधाई आदरणीया कृष्णा जी।

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  5. सभी क्षणिकाएँ बढ़िया हैं! क्रमांक 4, 8, 9 और 10 वाली रचनाएँ प्रभावी बन पड़ी हैं। "कौन मना पाया फिर / सिरफिरी हवाओं को" - सुंदर शब्दावली! हार्दिक बधाई!

    डाॅ. कुँवर दिनेश

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  6. क्षणिकाओं को ऐसे ही धारदार होना चाहिए-बधाई।
    सभी रचना सुंदर हैं-जीवन की हकीकत बयान कर रही हैं।

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  7. सुंदर प्रस्तुति

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  8. बहुत सार्थक क्षणिकाएँ...हार्दिक बधाई |

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  9. मेरी क्षणिकाओं को सहज साहित्य में साँझा करने के लिए आ. भाई काम्बोज जी का हार्दिक आभार।

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  10. प्रोत्साहन भरी टिप्पणियों के लिए आप सभी का बहुत-बहुत धन्यवाद।

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  11. सभी क्षणिकाएँ बहुत भावपूर्ण, बधाई कृष्णा जी.

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  12. बहुत ही मार्मिक क्षणिकाएँ।
    हार्दिक बधाई आदरणीया।

    सादर

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  13. एक से बढ़कर एक...
    बहुत ही सुन्दर मनभावन क्षणिकाएँ
    हार्दिक शुभकामनाएँ कृष्णा जी

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  14. सभी क्षणिकाएँ एक से बढ़कर एक।हार्दिक बधाई कृष्णा जी।

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  15. बहुत सुंदर भावपूर्ण क्षणिकाएं, हार्दिक बधाई।

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  16. कृष्णा जी । सभी क्षणिकाओं में दर्द का अहसास है सभी एक से एक बढ़कर हैं बधाई हो।

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  17. सभी क्षणिकाएँ बहुत सुंदर, भावपूर्ण। हार्दिक बधाई

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  18. सभी क्षणिकाएँ बहुत सुन्दर व भावपूर्ण,बहुत बधाई दीदी।

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