1-कमला निखुर्पा
1
बहुत दिनों के बाद,
जी भर के कल रात ,
मैने की है
चाँद से कुछ बात।
-0-
2-मुकेश
बेनिवाल
1
ज़िन्दगी की किताब में
हर रंग के काग़ज़ हैं
परेशानियों के पन्नों को
पतंग बनाकर उड़ा दो
ग़मों के पन्नों की
कश्ती बनाकर बहा दो
चुनकर बेहतरीन पन्ने
ज़िन्दगी को रंगों से सजा लो ।
2
बदलता हुआ
ये वक़्त
बहुत कुछ कह गया
मतलब की बाढ़ में
हर किरदार बह गया
ख़ुशी में ख़ुश होता है
और दुःख में दुःखी
सिर्फ़ आईना ही है
जो वफ़ादार रह गया ।
-0-
कमला जी बहुत सुंदर बात कही तीन पंक्तियों में। बधाई।
ReplyDeleteमुकेश बेनीवाल जी प्रेरक कविता आपकी बहुत अच्छी लगी। बधाई।
जिन्दगी की किताब में, वाह।
ReplyDeleteमुकेश जी बधाई।
बहुत दिनों के बाद- वाह कमला जी। बहुत सुंदर। बधाई
ReplyDeleteमुकेश जी प्रेरणादायी कविताओं के लिए हार्दिक बधाई।
बहुत दिनों बाद,,
ReplyDeleteजिंदगी की किताब,, सुंदर,प्रेरक रचनाओं के लिए हार्दिक बधाई।
-परमजीत कौर'रीत'
कमला जी और मुकेश जी बहुत ही बढ़िया रचनाएँ
ReplyDeleteसुन्दर सृजन के लिए हार्दिक बधाइयाँ स्वीकार करें
वाह।
ReplyDeleteसुंदर सृजन के लिए कमला जी और मुकेश जी को हार्दिक बधाई।
ReplyDeleteवाह अनुपम भावों का संगम ...
ReplyDeleteवाह! कमला ली की पंक्तियों की सादगी बड़ी ही मनमोहक!
ReplyDeleteवही मुकेश जी की छोटी छोटी कविताएँ भी बड़ा भाव लिए!आप दोनों को बहुत बहुत बधाई!
बड़ी सादगी से बहुत खूबसूरत बात कह दी कमला जी ने, बहुत बधाई
ReplyDeleteमुकेश जी की कविताएँ भी बहुत पसंद आईं, बहुत बधाई