1-आज के शब्द
रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’
न प्रश्न, न उत्तर
न पाप, न पुण्य
न जीवन, न मृत्यु
हर प्रश्न का उत्तर नहीं होता;
पाप-पुण्य दोनों
बदलते परिभाषाएँ,
इन्हें पकड़कर
हम कहीं न पहुँच पाए
कभी प्रश्न करो या
मुझसे कहो कि
तुमसे कुछ माँगूँ;
मैं माँगूँगा सिर्फ़ तुमको
तुमसे,
मैं माँगूँगा केवल तुम्हारा दुःख
तुमसे,
सुख कब आए, कब जाए
क्या भरोसा;
तुम्हारे दुःख लेकर मैं
सात समंदर पार जाऊँगा;
ताकि वे तुम्हें न रुलाएँ,
रोज़-रोज़ तुम्हारे पास न आएँ।
मैं दुःख से बोझिल
तुम्हारा माथा
चूमना चाहता हूँ,
तुम्हारी पीड़ा को
अपने सीने में
दफ़्न करना चाहता
हूँ;
ताकि जब तुम दूर चली जाओ
इस दुःख के बहाने
तुमको महसूस करूँ,
जी न पाया तुम्हारे लिए
कम से कम तेरे लिए मरूँ,
सौ सौ जन्म धरूँ,
तुमको सीने से नहीं लगा सका
दु:ख को सीने से लगाऊँ,
इस दु:ख में
चातक-सा तुमको पुकारूँ,
और अन्तिम बूँद की आस में
प्यास से मर जाऊँ,
हो मेरा पुनर्जन्म
तुम्हें पा जाऊँ।
2-अर्चना राय
1
प्रतीक्षा में
बडी उपलब्धि के
सारी ज़िन्दगी.....!
छोटी- छोटी खुशियों ने
दम तोड़ दिया।
2
शिद्दत से,
इंतजार में तेरे
वजूद का मेरे. ...
मुझे एहसास
ही न रहा।
3
पाकर अपनों का
थोड़ा-सा
स्नेहिल स्पर्श....
जी उठा...
बर्षो से सूखा
पड़ा,
...
वो बूढ़ा दरख्त!
4
खुशियों को
दुगुना कर दे
गमों को आधा
सच्ची दोस्ती ने
निभाया सदा
अनकहा
वादा।
और बेवफ़ा
ख़ून के
रिश्तों के बीच
है खड़ा
वो मज़बूती से
थामे हाथ ..
कीचड़ में...
कमल जैसा खिला
दोस्ती का रिश्ता।
-0-
भेड़ाघाट,
जबलपुर
प्रिय के दुख को अपनाने की सराहनीय आकांक्षा की सुंदर अभिव्यक्ति आदरणीय!
ReplyDeleteअर्चना राय जी की छोटी छोटी सुंदर कविताएँ।
बधाई दोनों को।
अपनों के दुख अपनाने की इच्छा का सुंदर एवं भावपूर्ण चित्रण आदरणीय भैया जी के शब्दों में... बहुत पावन अभिव्यक्ति! हार्दिक बधाई एवं नमन आपको!
ReplyDeleteअर्चना राय जी की क्षणिकाएँ भी बहुत ख़ूबसूरत! हार्दिक बधाई आपको!
~सादर
अनिता ललित
पाकर अपनों का
ReplyDeleteथोड़ा-सा
स्नेहिल स्पर्श....
जी उठा...
बर्षो से सूखा
पड़ा, ...
वो बूढ़ा दरख्त!
अच्छी रचना बधाई।
प्रश्न-उत्तर से परे है जीवन का सुख-दुःख इसे अपनी रचना में काम्बोज जी ने अच्छे से निभाया है, बधाई।
हर प्रश्न का उत्तर नहीं होता,,
ReplyDeleteबूढ़ा दरख़्त,,,
बहुत सुंदर भावपूर्ण रचनाएं।आप दोनों आदरणीयों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं।
बढ़िया रचनाएँ।
ReplyDeleteउत्तर मिलना मुश्किल ही है, नमते बड़े भैया
ReplyDeleteबहुत भावपूर्ण उम्दा रचना। हार्दिक बधाई भाईसाहब।
अर्चना राय जी को सुंदर सृजन के लिए हार्दिक बधाई।
बहुत सुंदर व भावपूर्ण कविता।बधाई भैया।
ReplyDeleteअर्चना जी को बेहतरीन सृजन के लिए बहुत बहुत बधाई।
समर्पित प्रेम की सुंदर कविता, कम्बोज सर की।
ReplyDeleteअर्चना जी ने भो खूब लिखा।
त्याग और समर्पण ही प्रेम का मूल रूप है, बहुत सुंदर कविता आदरणीय, आपको बधाई!
ReplyDeleteअर्चन जी की क्षणिकाएँ भी सुंदर...आपको भी बधाई!
प्रियवर से केवल उसकी पीड़ा माँगने की तीव्र उत्कंठा । प्रेम में त्याग ,विछोह से उपजा समर्पित भाव करुण रस से ओतप्रोत है । सुन्दर कविता की बधाई हिमांशु भाई । अर्चना जी को सुन्दर क्षणिका ओं के लिये बधाई ।
ReplyDeleteप्रेम में प्रिय की पीड़ा को अपनाना। उत्कृष्ट भाव लिए बहुत सुंदर कविता। बधाई
ReplyDeleteबहुत सुंदर क्षणिकाएँ अर्चना जी। बधाई आपको।
"हर प्रश्न का उत्तर नहीं होता"
ReplyDeleteप्रेम की सुन्दर रचना।
हार्दिक बधाई आदरणीय।
अर्चना जी की सुन्दर क्षणिकएँ आपको हार्दिक शुभकामनायें आदरणीया।
सादर
तुम्हारे दुःख लेकर मैं
ReplyDeleteसात समंदर पार जाऊँगा;
ताकि वे तुम्हें न रुलाएँ,
रोज़-रोज़ तुम्हारे पास न आएँ।
पावन और समर्पण ही प्रेम का आधार हैं। बहुत ही भावपूर्ण और सुंदर कविता के लिए बधाई आदरणीय भैया।
अर्चना जी की क्षणिकाएँ भी सुंदर। पहली क्षणिक ने बहुत प्रभावित किया।
आपका आभार । नाम भी दे देते तो अच्छा होता
Deleteसमर्पण की पराकाष्ठा लिए सुंदर रचना भैया👌👌
ReplyDeleteअर्चना जी सुंदर क्षणिकाएं, बहुत बधाई आप दोनों को 💐💐
सभी आत्मीय रचनाकारों का हार्दिक आभार
ReplyDeleteअपनों का दुःख मांगती कविता... भावुक करती है... हार्दिक बधाई भाई साहब💐🙏
ReplyDeleteप्रिय अर्चना की लेखनी हमेशा सार्थक सृजन करती है स्नेहाशीष अनुजा 💐
निःशब्द करती लेखनी भैया जी की ...एवम अर्चना जी की क्षणिकाएं बहुत ही बेहतरीन
ReplyDeleteवंदन ... अभिनन्दन 🙏
काम्बोज भाई की रचना में दूसरों का दुःख लेकर चले जाना और प्रेम की चाहत में पुनर्जन्म की कामना... जाने क्यों इसे पढ़कर आँखें नम हो गईं. यूँ लगा जैसे मेरी माँ के मन की भावना जो उनके अंतिम साँस के समय रही होगी मेरे लिए, भैया ने लिख दिया. बहुत आभार भैया.
ReplyDeleteअर्चना जी को भावपूर्ण क्षणिकाओं के लिए बधाई.
किसी अपने के दुःख लेकर उसे सुखी करने की कामना ही तो प्रेम की परकाष्ठा है, इस भावपूर्ण रचना के लिए आदरणीय काम्बोज जी को बहुत बधाई
ReplyDeleteअर्चना जी ने भी बहुत भावपूर्ण क्षणिकाएँ लिखी हैं, बहुत बधाई