पथ के साथी

Friday, February 12, 2021

1050

 

1-कभी-कभी 

शशि पाधा

 

प्रीति अग्रवाल

कभी कभी यूँ ही मुसकाना अच्छा लगता है
 

अधरों पे इक  गीत सजाना अच्छा लगता है 

 

पंछी-सा मन उड़ता फिरता मन का क्या कीजे 

पगलाए मन को समझाना अच्छा लगता है 

 

बात पुरानी सुधियों में नित आती जाती है 

बीती बातें फिर दोहराना अच्छा लगता है 

 

रेत बिछौना, अखियाँ मीचे,अम्बर ओढ़े मन 

लहरों के संग बहते जाना अच्छा लगता है 

 

दूर किनारे छोड़ आई थी घडियाँ बचपन की   

सीपी में वो मोती पाना अच्छा लगता है 

 

धीमे- धीमे उमड़े बादल , धीमे से बरसे  

धीमी बूँदों में घुल जाना अच्छा लगता है 

 

उड़ते पंछी , खिलती कलियाँ रंगों का मौसम 

मौसम के रंग में रंग जाना अच्छा लगता है 

 

पूछा करते लोग ‘शशि’ क्यों अखियाँ हैं गुमसुम

लोगों से ये बात छुपाना अच्छा लगता है |

 

-0-

2-वो गुलाब-  डॉ.महिमा श्रीवास्तव

 

वो गुलाब जो काँटों में नहीं


डायरी में महकता रहा

अनेक वर्षों तक।


किसी का ख्याल बन

एक सुकोमल अहसास बन

गुलाबी अधरों की

स्मित -सी मुस्कान बन।

रंगत फीकी हुई

स्वप्न बेमानी हुए

किस्से पुराने हुए

गुलाब से दिन

जीवन की धूप में

कुम्हलाने लगे

भूले बिसरे रूप

याद आने लगे

एक दिन अलमारी

की गर्द झाड़ते

हाथ आ गया

कुछ पन्नों के बीच

दबा हुआ सूखा गुलाब

श्वासों में भरना चाहा

तो भर गया अन्तर्मन

 सुवास से, विश्वास से।


19 comments:

  1. शशि जी की कविता बहुत बेहतरीन लगी 👌💐

    ReplyDelete
  2. गुलाब से दिन,जीवन की घुप में कुम्हलाने लगे....मार्मिक पंक्ति 👌
    महिमा जी की कविता बहुत बेहतरीन👌

    ReplyDelete
  3. शशि जी की कोमल सी कविता अच्छी लगी।
    महीमा जी दबे गुलाब का क्या कहना, वाह!

    ReplyDelete
  4. बहुत सुंदर लिखा। आप दोनों को हार्दिक बधाई।

    ReplyDelete
  5. दोनों कविताएँ बहुत सुंदर। आप दोनों रचनाकारों को हार्दिक बधाई।

    ReplyDelete
  6. बहुत सुंदर पेंटिंग से सजी रचना, 'अच्छा लगता है' हार्दिक बधाई।

    ReplyDelete
  7. शशि जी की ग़ज़ल बहुत सुंदर और मधुर,सच ही मौसम के रंग में रंग जाना अच्छा लगता है...वहीं बहुत ही कोमल भावों को अभिव्यक्त करती डॉ. महिमा जी की कविता भी अपना अलग प्रभाव छोड़ती है।दोनो ही रचनाकारों को हार्दिक बधाई।

    ReplyDelete
  8. आप सब मित्रों का रचना को मान देने के लिए धन्यवाद | डॉ महिमा जी को सुंदर ,मोहक रचना के लिए हार्दिक बधाई |

    शशि पाधा

    ReplyDelete
  9. शशि जी को बेहतरीन ग़ज़ल एवं महिमाजी को भावपूर्ण कविता के लिए हार्दिक बधाई

    ReplyDelete
  10. सुन्दर भावों से सजी रचनाओं के लिए शशि जी और महिमा जी को हार्दिक बधाई और शुभकामनाएँ...

    ReplyDelete
  11. हार्दिक बधाई व् शुभकामनाएं

    ReplyDelete

  12. दोनों रचनाएँ बहुत सुंदर। आप दोनों रचनाकारों को हार्दिक बधाई!

    ReplyDelete
  13. वाह !दोनो ही रचनाएँ बेहद सुंदर । शशि जी और महिमा जी को हार्दिक बधाई!

    ReplyDelete
  14. वाह शशि जी और महिमा जी की कविताओं ने प्रभावित किया सुंदर रचना हैं दोनो ही ... आपदोनो को हार्दिक बधाई।

    ReplyDelete
  15. शशि पाधा जी की रचना में जीवन की अच्छाइयों को शब्दांकित करना सुंदर है। वाकई ये जीवन के प्रति हमारी सकारात्मक सोच है और यही हमारी रचनाशक्ति को संजीवनी प्रदान करती है।बधाई । महिमा जी बिना काँटों के गुलाब कहाँ गुलाब रहेगा।

    ReplyDelete
  16. बहुत प्यारी रचनाएँ...आप दोनों को ढेरों बधाई

    ReplyDelete

  17. बहुत सुंदर सृजन,आप दोनों रचनाकारों को हार्दिक बधाई!

    ReplyDelete