1-कभी-कभी
शशि पाधा
प्रीति अग्रवाल |
कभी कभी यूँ ही मुसकाना अच्छा लगता है
अधरों पे इक गीत
सजाना अच्छा लगता है
पंछी-सा मन उड़ता फिरता मन का
क्या कीजे
पगलाए मन को समझाना अच्छा लगता है
बात पुरानी सुधियों में नित आती जाती है
बीती बातें फिर दोहराना अच्छा लगता है
रेत बिछौना, अखियाँ मीचे,अम्बर ओढ़े मन
लहरों के संग बहते जाना अच्छा लगता है
दूर किनारे छोड़ आई थी घडियाँ
बचपन की
सीपी में वो मोती पाना अच्छा लगता है
धीमे- धीमे उमड़े बादल ,
धीमे से बरसे
धीमी बूँदों में घुल जाना अच्छा
लगता है
उड़ते पंछी , खिलती
कलियाँ रंगों का मौसम
मौसम के रंग में रंग जाना अच्छा लगता है
पूछा करते लोग ‘शशि’ क्यों अखियाँ हैं गुमसुम
लोगों से ये बात छुपाना अच्छा लगता है |
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2-वो
गुलाब- डॉ.महिमा श्रीवास्तव
वो गुलाब जो काँटों में नहीं
अनेक वर्षों तक।
किसी का ख्याल बन
एक सुकोमल अहसास बन
गुलाबी अधरों की
स्मित -सी मुस्कान बन।
रंगत फीकी हुई
स्वप्न बेमानी हुए
किस्से पुराने हुए
गुलाब से दिन
जीवन की धूप में
कुम्हलाने लगे
भूले बिसरे रूप
याद आने लगे
एक दिन अलमारी
की गर्द झाड़ते
हाथ आ गया
कुछ पन्नों के बीच
दबा हुआ सूखा गुलाब
श्वासों में भरना चाहा
तो भर गया अन्तर्मन
सुवास से, विश्वास से।
शशि जी की कविता बहुत बेहतरीन लगी 👌💐
ReplyDeleteगुलाब से दिन,जीवन की घुप में कुम्हलाने लगे....मार्मिक पंक्ति 👌
ReplyDeleteमहिमा जी की कविता बहुत बेहतरीन👌
शशि जी की कोमल सी कविता अच्छी लगी।
ReplyDeleteमहीमा जी दबे गुलाब का क्या कहना, वाह!
बहुत सुंदर लिखा। आप दोनों को हार्दिक बधाई।
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ReplyDeleteदोनों कविताएँ बहुत सुंदर। आप दोनों रचनाकारों को हार्दिक बधाई।
ReplyDeleteसबका आभार।
ReplyDeleteबहुत सुंदर पेंटिंग से सजी रचना, 'अच्छा लगता है' हार्दिक बधाई।
ReplyDeleteशशि जी की ग़ज़ल बहुत सुंदर और मधुर,सच ही मौसम के रंग में रंग जाना अच्छा लगता है...वहीं बहुत ही कोमल भावों को अभिव्यक्त करती डॉ. महिमा जी की कविता भी अपना अलग प्रभाव छोड़ती है।दोनो ही रचनाकारों को हार्दिक बधाई।
ReplyDeleteआप सब मित्रों का रचना को मान देने के लिए धन्यवाद | डॉ महिमा जी को सुंदर ,मोहक रचना के लिए हार्दिक बधाई |
ReplyDeleteशशि पाधा
शशि जी को बेहतरीन ग़ज़ल एवं महिमाजी को भावपूर्ण कविता के लिए हार्दिक बधाई
ReplyDeleteसुन्दर भावों से सजी रचनाओं के लिए शशि जी और महिमा जी को हार्दिक बधाई और शुभकामनाएँ...
ReplyDeleteहार्दिक बधाई व् शुभकामनाएं
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ReplyDeleteदोनों रचनाएँ बहुत सुंदर। आप दोनों रचनाकारों को हार्दिक बधाई!
वाह !दोनो ही रचनाएँ बेहद सुंदर । शशि जी और महिमा जी को हार्दिक बधाई!
ReplyDeleteवाह शशि जी और महिमा जी की कविताओं ने प्रभावित किया सुंदर रचना हैं दोनो ही ... आपदोनो को हार्दिक बधाई।
ReplyDeleteशशि पाधा जी की रचना में जीवन की अच्छाइयों को शब्दांकित करना सुंदर है। वाकई ये जीवन के प्रति हमारी सकारात्मक सोच है और यही हमारी रचनाशक्ति को संजीवनी प्रदान करती है।बधाई । महिमा जी बिना काँटों के गुलाब कहाँ गुलाब रहेगा।
ReplyDeleteबहुत प्यारी रचनाएँ...आप दोनों को ढेरों बधाई
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ReplyDeleteबहुत सुंदर सृजन,आप दोनों रचनाकारों को हार्दिक बधाई!