प्रीति अग्रवाल
1-अनुभूतियाँ
1.
हर लम्हा है मंज़िल, अरे बेखबर !
ये न लौटेगा फिर, इसे ज़ाया न कर !!
2.
कहाँ पहुँचने की जल्दी में मसरूफ़ थे
जो फ़ुर्सत मिली, तो अब सोचते हैं...।
3.
मेरी रूह को न बाँधो, थकोगे तुम्हीं
क्या हवाएँ बँधी हैं या बँधेंगी कभी......!!
4.
आजमाएँगे कब, ये जो अब तक पढ़ा है
क्या इम्तिहानों में ही, ज़िंदगानी कटेगी....?
5.
यूँ पलकों पे अपनी, बिठाना सँभलके...
हमें नज़रों से गिरना, गवारा नहीं है!
6.
बातों का क्या, वो तो कोई भी सुन ले...
जो चुप्पी सुने, सच्चा साथी वही है!
7.
मेरे बारे में कुछ भी, किसी से न कहना
मुझे कोने में दिल के, तुम रखना छुपाके..।
8.
'मैं ठीक हूँ', चाहे सौ बार दोहरा लूँ.....
तुम पकड़ लोगे झूठ, तुम मुझे जानते हो!
9.
पलकों तक आए, पर छलके नहीं
लो फिर हमनें आँसू पिए आज हँसके!
10.
चलो बाँट लें, आधी-आधी सज़ाएँ...
जो बढ़ती हो, तुम मेरे हिस्से में दे दो!
11.
बहकी- बहकी है चाल, गुनगुनाता है मन
मुहब्बत की तितली ने जबसे छुआ है....!
12.
जबसे नैनों में तुमने बसेरा किया
उड़ी नींद, उसका, ठिकाना छिना....!
13.
सब्र बेशुमार!......भला क्या करूँगी?
वो जानता था- मुझको ज़रूरत पड़ेगी।
-0-
1.
हर लम्हा है मंज़िल, अरे बेखबर !
ये न लौटेगा फिर, इसे ज़ाया न कर !!
2.
कहाँ पहुँचने की जल्दी में मसरूफ़ थे
जो फ़ुर्सत मिली, तो अब सोचते हैं...।
3.
मेरी रूह को न बाँधो, थकोगे तुम्हीं
क्या हवाएँ बँधी हैं या बँधेंगी कभी......!!
4.
आजमाएँगे कब, ये जो अब तक पढ़ा है
क्या इम्तिहानों में ही, ज़िंदगानी कटेगी....?
5.
यूँ पलकों पे अपनी, बिठाना सँभलके...
हमें नज़रों से गिरना, गवारा नहीं है!
6.
बातों का क्या, वो तो कोई भी सुन ले...
जो चुप्पी सुने, सच्चा साथी वही है!
7.
मेरे बारे में कुछ भी, किसी से न कहना
मुझे कोने में दिल के, तुम रखना छुपाके..।
8.
'मैं ठीक हूँ', चाहे सौ बार दोहरा लूँ.....
तुम पकड़ लोगे झूठ, तुम मुझे जानते हो!
9.
पलकों तक आए, पर छलके नहीं
लो फिर हमनें आँसू पिए आज हँसके!
10.
चलो बाँट लें, आधी-आधी सज़ाएँ...
जो बढ़ती हो, तुम मेरे हिस्से में दे दो!
11.
बहकी- बहकी है चाल, गुनगुनाता है मन
मुहब्बत की तितली ने जबसे छुआ है....!
12.
जबसे नैनों में तुमने बसेरा किया
उड़ी नींद, उसका, ठिकाना छिना....!
13.
सब्र बेशुमार!......भला क्या करूँगी?
वो जानता था- मुझको ज़रूरत पड़ेगी।
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2-तख्ती- प्रीति अग्रवाल
ये
कौन है,
जो दिल पे दस्तक़
दिए जा रहा है?
देखता नहीं, तख़्ती पे-
]अंदर आना मना है’
लिखा है!
‘मैं प्यार हूँ ,.... अंधा हूँ
खुदा की रज़ा में बँधा हूँ
मैं तख्तियाँ नहीं,
धड़कनों को हूँ पढ़ता
और तेरी कह रही
तू ने मुझको पुकारा...!!’
जो दिल पे दस्तक़
दिए जा रहा है?
देखता नहीं, तख़्ती पे-
]अंदर आना मना है’
लिखा है!
‘मैं प्यार हूँ ,.... अंधा हूँ
खुदा की रज़ा में बँधा हूँ
मैं तख्तियाँ नहीं,
धड़कनों को हूँ पढ़ता
और तेरी कह रही
तू ने मुझको पुकारा...!!’
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प्रीति अग्रवाल की अनुभूतियाँ सदा ही प्रभावित करती हैं,अत्यंत सादगी से बड़े से बड़े मनोभाव को व्यक्त कर देती हैं। तख्ती कविता में भी प्रेम के आवेग को सहजता से व्यक्त किया है।बधाई प्रीति जी
ReplyDeleteआदरणीय शिवजी भैया, मेरा मनोबल बढ़ाने के लिए आपका बहुत बहुत आभार!
Deleteआदरणीय काम्बोज भाई साहब इतना सुंदर मंच प्रदान करने के लिए और मेरी बात सब तक पहुँचाने के लिए आपका ह्र्दयतल से आभार!
ReplyDeleteप्रीती जी आपकी अनुभूतियाँ सभी अच्छी हैं परन्तु ६,८,१०,और १३ ने मन को छू लिया |तख्ती नामक कविता भी भावपूर्ण है हार्दिक बधाई स्वीकारें |
ReplyDeleteसविता जी आपने इतने प्रेम और इत्मिनान से मेरी रचनाओं को पढ़ा, आपका बहुत बहुत धन्यवाद!
Deleteप्रीति जी आपकी अनुभूतियाँ बहुत ही सुंदर है। मन को छू गईं ।
ReplyDeleteतख्ती कविता भी बहुत सुंदर एवं भावपूर्ण है।बढ़िया सृजन के लिए आपको बधाई ।
आपने सदा मुझे अपना स्नेह दिया है, मैं ह्रदयतल से आपकी आभारी हूँ!
Deleteबहुत सुंदर अनुभूतियां.. बधाई
ReplyDeleteधन्यवाद रश्मि जी!:)
Deleteप्रीति जी की अनुभूतियाँ हमेशा की तरह बेहद सुन्दर, उतनी ही अच्छी तख्ती कविता भी।बधाई प्रीति जी ।
ReplyDeleteआपका बहुत बहुत धन्यवाद सुरँगमा जी, खुशी हुई कि आपको पसंद आईं!
Deleteसभी रचनाएँ एक से बढ़कर एक सुंदर, मनभावन ..... वाह !
ReplyDeleteहार्दिक शुभकामनाएँ
पूर्वा जी इस सुंदर मंच के माध्यम से हम आप जुड़े हुए हैं, कितनी खुशी होती है, आपका बहुत बहुत आभार!
Deleteबहुत सुंदर भावपूर्ण रचनाएं,प्रीति अग्रवाल जी को हार्दिक बधाई।
ReplyDeleteआपका आभार रीत जी!:)
Deleteवाह प्रीति जी क्या बात !
ReplyDeleteसभी रचनाएँ एक से बढ़कर एक,हृदय तल से बधाई और शुभकामनाएँ आपको !
वाह ज्योत्स्ना जी क्या बात है!आप मुझे प्रोत्साहित करना कभी नहीं भूलती, आपका बहुत बहुत आभार!!
Deleteबेहतरीन अनुभूतियाँ...बहुत-बहुत बधाई प्रीति जी।
ReplyDeleteआपका बहुत बहुत आभार कृष्णाजी!!
Deleteप्रीति जी, आपने इन पंक्तियों से मन मोह लिया...बहुत बहुत बधाई |
ReplyDeleteमुझे बहुत खुशी हुई कि मेंरे दिल की बात आपके दिल तक पहुँची, आभार प्रियंका जी!:)
DeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteप्रीती जी, अनुभूतियाँ अभिभूत कर गईं सदैव की ही तरह! तख़्ती भी दिल पर दस्तक दिए बिना ही दिल को छू गई! :-)
ReplyDeleteबहुत-बहुत बधाई इतनी प्यारी रचनाओं के लिए!
~सादर
अनिता ललित
आपके ढेर सारे स्नेह के लिए ढेर सारे धन्यवाद!..आभार अनिता जी!
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