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हिन्दी मीठी पुरवाई है
आशीष जैन
संस्कृत के श्रेष्ठ संस्कारों से
परिमार्जित होकर आई है,
हिन्दी मीठी पुरवाई है
हिन्दी ठंडी पुरवाई है ।
कढ़ सूर- सिंधु के मंथन से
तुलसीदल- सी पावन होकर
मानस में डूबकर आई है,
हिन्दी ठंडी पुरवाई है
हिन्दी मीठी पुरवाई है ।
कभी ओढ़ चदरिया कबीरा की
कभी मीरा का इकतारा ले
राधा रानी -सी लुनाई है,
हिन्दी ठंडी पुरवाई है
हिन्दी मीठी पुरवाई है ।
महादेवी- सा रूप, पंत का प्रेम
निराला ओज, सत्य की खोज
खड्ग ले खड़े चंदबरदाई हैं
हिन्दी ठंडी पुरवाई है
हिन्दी मीठी पुरवाई है ।
कभी फिल्मी गीतों के द्वारा
कहीं गिरमिटिया के श्रम के संग
कभी अटल-मोदी के साथ-साथ
जग -मानस की परछाई है,
हिन्दी ठंडी पुरवाई है
हिन्दी मीठी पुरवाई है ।
-0- पी जी टी , केन्द्रीय विद्यालय क्रमांक-2 , भोपाल
बहुत सुंदर-हिंदी मीठी पुरवाई है।हार्दिक बधाई।
ReplyDelete🙏🙏आभार
Deleteबहुत सुन्दर कविता ।बधाई आशीष जैन जी।
ReplyDelete🙏🙏 आभार
Deleteसंक्षिप्त सार गर्भित पुस्तक परिचय।'बंजारा मन'के लिए आदरणीय काम्बोज भैया को हार्दिक बधाई ।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर।
ReplyDeleteहिन्दी दिवस की अशेष शुभकामनाएँ।
बनजारा मन के परिचय के साथ कविताओं का सुंदर सरस् वाचन। आदरणीय काम्बोज जी को साधुवाद।
ReplyDeleteबनजारा मन की बहुत सुन्दर समीक्षा है और बहुत अच्छा वाचन किया है. मैंने पूरी पुस्तक भी पढ़ी है. हर विषय पर इसमें कविता है. काम्बोज भाई को बधाई.
ReplyDeleteहिन्दी दिवस पर आशीष जी ने बहुत सुन्दर रचना लिखी है.
हिन्दी दिवस पर सभी को बधाई.
आभार 🙏
Deleteबनजारा मन से बहुत अच्छी रचनाएँ सुनने को मिली । हार्दिक बधाइयाँ स्वीकार करें ।
ReplyDeleteआशीष जी बहुत सुंदर सृजन । पूरा साहित्य आँखों के सामने आ गया । हार्दिक बधाइयाँ ।
बंजारामन की सपरिचय उम्दा रचनाओं का बहुत सुंदर वाचन...भाई काम्बोज जी को हार्दिक बधाई।
ReplyDeleteबहुत बढ़िया रचना...आशीष जी को हार्दिक बधाई।
अंजु जी द्वारा बंजारा मन की सुंदर समीक्षा,कविताएँ सुन कर भी बहुत आनन्द आया, आदरणीय काम्बोज भाई साहब को अनेकों बधाई एवं शुभकामनाएँ!!
ReplyDeleteआशीष जी को भी सुंदर रचना हेतु बधाई!
हिंदी दिवस की सब को शुभकामनाएँ!!
हिंदी सी ही मीठी इस कविता के लिए बहुत बधाई आशीष जी को...|
ReplyDelete'बंजारा मन' के बारे में अंजू जी से सुनना अच्छा लगा, बधाई |
ReplyDeleteसभी को हिंदी दिवस की शुभकामनाएँ...|
भाई काम्बोज जी की पुस्तक बंजारा मन की रचनाओं को की खूबसूरत प्रस्तुति की है अंजू जी ने | भाई काम्बोज जी को हार्दिक बधाई |
ReplyDeleteआशीष जी की सुन्दर कविता के लिए हार्दिक बधाई |
ReplyDeleteहिंदी दिवस पर्व पर अंजू जी ने बंजारा मन से अभिज्ञ परिचय करवाया । पुस्तक के शीर्षक ने इंगित किया, और कविताओं ने आभास कराया कि आदरणीय काम्बोज जी ने चार दशकों के अवलोकन को सुंदर रूप दिया है । पुस्तक के सृजन पर हार्दिक शुभकामनाएँ । आशीषजी की सुंदर मीठी कविता के लिये बधाई ।
ReplyDeleteउत्साहवर्धन के लिए आदरणीय रामेश्वरजी एवं सभी सुधीजन का आभार
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ReplyDelete'बंजारा मन' के प्रकाशन हेतु आ. भैया जी को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएँ!
ReplyDeleteअंजू जी को समीक्षा के लिए बहुत बधाई!
हिन्दी-दिवस पर आ.आशीष जैन जी को इस सुंदर कविता के लिए बहुत-बहुत बधाई!
~सादर
अनिता ललित