1-अँधेरे
में-शशि पाधा
***
अँधेरे में टटोलती हूँ
बाट जोहती आँखें
मुट्ठी में दबाए
शगुन
सिर पर धरे हाथ का
कोमल अहसास
सुबह के भजन
संध्या की
आरतियाँ
रेडियो पर लोकगीतों की
मीठी धुन
मिट्टी की ठंडी
सुराही
दरी और चादर का
बिछौना
इमली, अम्बियाँ
चूर्ण की गोलियाँ
खो-खो , कीकली
रिब्बन परांदे
गुड़ियाँ –पटोले --
फिर से टटोलती हूँ
निर्मल, स्फटिक सा
अपनापन
कुछ हाथ नहीं आता
वक्त निगल गया
या
उनके साथ सब चला गया
जो खो गए किसी
गहन अँधेरे में ।
-0-18 जनवरी
, 2020
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2-बस तुम
पुकार लेना /सत्या शर्मा ' कीर्ति '
हाँ , आऊँगी लौटकर
बस तुम
पुकार लेना मुझको
जब बरस रही हो यादे
कुहासे संग किसी अँधेरी
सर्द रात में
और वह ठंडा एहसास जब
कँपकँपाए
तुम्हारे वजूद को
पुकार लेना मुझको
जब संघर्षों की धूप
झुलसाने लगे तुम्हारे आत्मविश्वास को
उग आएँ फफोले
तुम्हारे थकते पाँवों में
जब मन की पीड़ा हो
अनकही
हाँ , पुकार लेना मुझको
जब उम्र की चादर होने लगे छोटी
जब आँखों के सपने
कहीं हो जाएँ गुम
जब हाथो की पकड़
होने लगे ढीली
जब सम्बन्धों की डोर
चटकने से लगें
हाँ ,
पुकार लेना मुझको
मैं आऊँगी लौटकर
हाँ, बस एक बार पुकार लेना मुझको।।
दोनों कविताएँ अच्छी लगी। कोमल, संवेदना पगी रचनाओं की बधाई शशि जी, सत्या जी।
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद अनिता जी 🙏🙏
Deleteदोनों रचनाएँ बेहद भावपूर्ण एवं गहन अनुभूतियों को समेटे हुए हैं. बधाई शशि जी एवं सत्या जी.
ReplyDeleteबहुत - बहुत धन्यवाद आपका 🙏🙏
Deleteदोनों रचनाकारों का सुन्दर सृजन... आदरणीय शशिजी और सत्या जी को हार्दिक बधाई !!
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद ज्योत्स्ना जी 🙏🙏
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ReplyDeleteआप दोनों रचनाकारों की रचनाएं बहुत सुन्दर हैं ।बधाई आपको ।
ReplyDeleteसादर धन्यवाद आपका 🙏
Deleteशशि जी एवं सत्या जी बहुत ही मनभावन रचनाएँ ....
ReplyDeleteबधाई स्वीकार करें ।
हार्दिक धन्यवाद पूर्वा जी
Delete🙏
शशि पाधा जी अँधेरे में बाट जोहती आँखे बहुत सुन्दर भाव सुन्दर शब्दों में कविता को कागज़ पर उकेरा है , सत्या जी बहुत सुन्दर कविता है 'जब उम्र की चादर होने लगे छोटी ....', दोनों रचनाकारों को हार्दिक बधाई |
ReplyDeleteबहुत - बहुत धन्यवाद 🙏
Deleteशशीजी सच कहा आप ने, कितनी ही मीठी यादें मन में उठती है ,पर खोजो तो वो अपनापन कहीं नहीं मिलता, बहुत मर्मस्पर्शी, आपको सुंदर सृजन के लिए बधाई!
ReplyDeleteसत्या जी बहुत सुंदर भाव हैं, बड़ी इच्छा होती है कि काश कोई पुकार ले, आपको भी बहुत बहुत बधाई।
हृदय से आभारी हूँ 🙏🙏
ReplyDeleteमेरी कविता को स्थान देने के लिए सादर धन्यवाद भैया जी 🙏🙏
ReplyDeleteबहुत ही अच्छी कविता हेतु हार्दिक बधाई शशि जी💐💐
ReplyDeleteबहुत सुंदर रचनाएँ..शशि जी, सत्या जी.हार्दिक बधाई।
ReplyDeleteबीते बचपन को खोजती , शशि पाधा जी व , सत्या जी की एक बार पुकारे जाने के इंतज़ार की , दोनों भावपूर्ण कविताएं । बधाई ।
ReplyDeleteबीते दिनों को याद करती सुंदर कविता के लिए बधाई शशि जी
ReplyDeleteबहुत सुंदर कविता सत्या जी... बधाई