रचना श्रीवास्तव
मेरे लहू की गर्मी से जब
बर्फ पिघलने लगे
पानी जब लाल रंग में बहने
लगे
तब समझ लेना तेरा एक और
बेटा शहीद हो गया
तेरी रक्षा की खातिर एक और
हमीद खो गया
लौटना चाहता हूँ घर मैं भी
माँ पर देश को मेरी जरूरत है
सिखाया था तूने ही इस माँ
से पहले वह माँ है
मारते हैं सैनिक ही चाहे
इस पार हो
या उस पार
फिर है ये कौन जो बीज नफ़रत के बो गया
तिरंगे में लिपट लौटूँ, तो
गले मुझको लगा लेना
आँसू आएँ
आँखों में तो आँचल में उनको समा लेना
मान से उठे पिता के मस्तक
पर तिलक लगा देना
हर जाता सैनिक रख बंदूक पर
सर सो गया।
सावन की हरियाली जब घर
तेरा महकाए
राखी पर जब बहन कोई घर लौटकर
आए
यादों के झुरमुट से तब
चेहरा मेरा झाँकेगा
समय की धार ने था जिसको
अभी धो दिया ।
रचना जी रचना - एक सैनिक की स्वदेश प्रेम की भावना से ओत -प्रोत कविता पढकर मेरे मन यही विचार उठता है कि हम सबको देश के प्रति ऐसी ही वलिदान की भावना होनी चाहिए | रचना पठनीय- स्मरणीय और सराहनीय है | इसके लिए आपको बहुत सारी बधाई ! श्याम हिन्दी चेतना
ReplyDeleteफिर ये कौन है जो नफरत के बीज बो गया...!!बड़ा ही मकर्मिक भाव। सच यदि ये बीज न होते तो संसार की कहानी अलग ही होती। शहीदों को कोटि कोटि नमन, और नमन और आभार उनके माता पिता को भी। रचना जी भावपूर्ण सृजन के लिए अनेकों बधाइयाँ।
ReplyDeleteदेश प्रेम की भावना से ओतप्रोत ये रचना जहाँ एक ओर सच्चे सैनिक के मनोभावों को व्यक्त करती है वहीं युद्ध की निरर्थकता की ओर भी संकेत करती है।भावपूर्ण एवम सुंदर रचना हेतु रचना जी को बधाई।
ReplyDeleteदेशप्रेम की भावना की प्रेरणा देती,मर्मस्पर्शी,भावपूर्ण सुंदर कविता की रचना करने के लिए रचना जी आपको हार्दिक बधाई ।
ReplyDeleteस्नेह भरे शब्दों के लिए आप सभी का बहुत बहुत धन्यवाद
ReplyDeleteरचना
मर्मस्पर्शी, भावपूर्ण रचना के लिए बहुत बधाई रचना जी।
ReplyDeleteराष्ट्र प्रेम से संचित , एक मर्मस्पर्शी कविता । युद्धभूमि से एक वीर सैनिक की चिट्ठी , अत्यंत भावसंचित है , जिसने मन भिगो दिया । बधाई लें ।
ReplyDeleteसैनिक के मन की बात कहती कविता .....बहुत सुंदर एवं मर्मस्पर्शी
ReplyDeleteहार्दिक अभिनन्दन रचना जी
ReplyDeleteदेशप्रेम से सराबोर सुंदर,मर्मस्पर्शी सृजन के लिए रचना जी को हार्दिक बधाई !
रचना जी देशप्रेम की भावना से भरी सैनिक पर रची रचना है एक एक शब्द मन में जोश पैदा करता है |तिरंगे में लिपट लौटूं तो गले मुझको लगा लेना .... बहुत मार्मिक भाव हैं |आपको हार्दिक बधाई रचना जी |
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