रामेश्वर काम्बोज
‘हिमांशु’
1
दर्द कहाँ है यह पूछना फ़िजूल
पूछिए यह कि कहाँ नहीं है दर्द।
2
हम तो वफ़ा करके पछताए ताउम्र
उन्हें बेवफाई का ज़रा मलाल नहीं।
दर्द कहाँ है यह पूछना फ़िजूल
पूछिए यह कि कहाँ नहीं है दर्द।
2
हम तो वफ़ा करके पछताए ताउम्र
उन्हें बेवफाई का ज़रा मलाल नहीं।
चित्रःहिमांशु |
3
कभी पूछना न झील कि अब तक
कहाँ रहाडूबता जब दिल तुम्हारे पास आता हूँ।
4
चित्रःहिमांशु |
ग़म न कर कि पत्ते सब गए हैं छोड़कर।
कल आएगी बहार सब लौट आएँगे।
चित्रःहिमांशु |
सूख गए पर साथ नहीं छोड़ा है आज तक
बुरे दिनों के दोस्त हैं ,जाते भी तो कैसे।
6
दुआओं का असर हो न हो यह तो मुमकिन
बद्दुआएँ मगर कभी पीछा न छोड़ती ।
बहुत सुंदर
ReplyDeleteबहुत सुंदर भावपूर्ण सृजन ।
ReplyDeleteबहुत ही भावपूर्ण सृजन
ReplyDelete🙏🙏
बहुत सुन्दर पंक्तियाँ हैं भाई साहब |हार्दिक बधाई स्वीकारें |
ReplyDeleteसभी क्षणिकाएँ सुंदर , हृदयस्पर्शी ....
ReplyDeleteहार्दिक शुभकामनाएँ सर
मर्मस्पर्शी सृजन...बहुत बधाई भाईसाहब।
ReplyDeletesunder chitr aur bahut sunder kavitayen
ReplyDeleterachana
एक अलग ही अंदाज़ है ये आपका,आपकी ये चंद पंक्तियाँ अपने शिल्प और कथन में अशआर ही प्रतीत होते हैं।बहुत सुंदर।हार्दिक बधाई भाई साहब।
ReplyDeleteसभी पंक्तियाँ सुंदर और भाव लिए!बधाई एवम शुभकामनाएँ स्वीकारें भाई साहब।
ReplyDeleteभावपूर्ण सृजन भैया।
ReplyDeleteआप सभी आत्मीयजन का हार्दिक आभार .
ReplyDeleteरामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’
गहरी, मार्मिक एवं भावपूर्ण पंक्तियाँ!
ReplyDeleteहार्दिक बधाई आदरणीय भैया जी!
~सादर
अनिता ललित
आभार अनिता बहन
ReplyDeleteहृदय की पीड़ा को प्रकृति के चित्रों और कविता के भावों द्वारा जीवंत किया है । सुन्दर । बधाई हिमांशु भाई ।
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ReplyDeleteबहुत सुन्दर सृजन....हार्दिक बधाई भैया जी !