पथ के साथी

Wednesday, January 15, 2020

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बढ़ता चल
डॉ0 सुरंगमा यादव

अँधेरों से हम
नहीं डरने वाले
अँधेरों को करके
सूरज के हवाले
हम चलते रहेंगे
यूँ हीं मतवाले
पाँव में बेशक
पड़े अपने छाले
कंटकों से ही हमने
हैं काँटे निकाले
और क्या हम सुनाएँ
ढंग अपने निराले
चले जा रहे हम अकेले
खुद ही खुद को सँभाले
धरा भी अकेली
चाँद-सूरज अकेला
मगर उनका कोई
सानी नहीं है
कह रहा मन निरंतर
चलाचल
गँवा बिना पल
-0-


7 comments:

  1. आशा की किरण दिखाते हुए अकेले चलने का हौसला देती सुंदर कविता....
    हार्दिक शुभकामनाएँ सुरंगमा जी

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  2. आशावान बने रहने की प्रेरणा देती सुंदर कविता । बधाई सुरंगमा जी ।

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  3. सुरंगमा जी दिलों में जोश भरती सुन्दर रचना है, आज सेना दिवस के अवसर पर वीर जवानों की वीरता को दर्शाती कविता है |हार्दिक बधाई |

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  4. एकला चलो रे!!!.....मानो तो हम अकेले हैं, मानो तो सब साथ! सुंदर कविता सुरँगमा जी, आपको बधाई।

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  5. बहुत शानदार रचना...हार्दिक बधाई सुरंगमा जी।

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  6. सदैव आगे बढ़ते रहने को प्रोत्साहित करती सुंदर कविता सुरंगमा जी!
    हार्दिक बधाई!

    ~सादर
    अनिता ललित

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  7. बहुत बढ़िया रचना...हार्दिक बधाई सुरंगमा जी !

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