1-रश्मि शर्मा
फ़ोटोः रश्मि शर्मा |
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2-प्रवासी वेदना-शशि
पाधा
उड़ती- उड़ती-सी इक बदली
मोरे अँगना आई
मैंने पूछा मेरे घर से
क्या संदेशा लाई?
राखी के दिन भैया ने क्या
मुझको याद किया था
पंख तेरे संग बाँध किसी ने
थोड़ा प्यार दिया था
दीवाली की थाली में जब
सब ने दीप जलाएँ होंगे,
मेरे हिस्से के दीपों को
किसने थाम लिया था?
सच बताना प्यारी बहना
क्या तू देखके आई
उड़ते-उड़ते मेरे घर से
क्या संदेशा लाई
मेरी बगिया के फूलों का
रंग बताना कैसा था
उन मुस्काती कलियों में
क्या कोई मेरे जैसा था
मेरे बिन आँगन की तुलसी
थोड़ी तो मुरझाई होगी
हर शृंगार की कोमल बेला
कुछ पल तो कुम्हलाई होगी
बचपन की उन सखियों को
क्या मेरी याद सताई
मैंने पूछा मेरे घर में
क्या-क्या देखके आई
आते-आते क्या तू बदली
गंगा मैया से मिल आई
देव नदी का पावन जल क्या
अपने आँचल में भर लाई
मंदिर की घंटी की गूँजें
कानों में रस भरती होंगी
चरणामृत की शीतल बूँदें
तन-मन शीतल करती होंगी
तू तो भागों वाली बदली
सारा पुण्य कमा कर आई
उड़ते-उड़ते प्यारी बहना
किससे मिल के आई
अब की बार उड़ो तो बदली
मुझको भी संग लेना
अपने पंखों की गोदी में
मुझको भी भर लेना
ममता -मूरत मैया को जब
मेरी याद सताएगी
देख मुझे तब तेरे संग वो
कितनी खुश हो जाएगी
याद करूँ वो सुख के पल तो
अँखियाँ भर-भर आईं
उड़ते-उड़ते प्यारी बदली
क्या तू देखके आई
और न कुछ भी माँगूँ तुमसे
बस इतना ही करना
मेरी माँ का आँगन बहना
खुशियों से तू भरना
सरस स्नेह की मीठी बूँदें
आँगन में बरसाना
मेरी बगिया के फूलों में
प्रेम का रंग बिखराना
जब-जब भी तू लौटके आए
मुझको भूल न जाना
मेरे घर से खुशियों के
संदेश लेते आना।
घड़ी-घड़ी में अम्बर देखूँ
कब तू लौट के आई
मेरे घर से प्यारी बदली
क्या संदेशे लाई?'
वाह मन को सहलाती सी कविता के लिए हार्दिक बधाई🌸🌸
ReplyDeleteवाह!रश्मि शर्मा जी ने प्रकृति के माध्यम से कम शब्दों में गहरी बात कह दी । शशि पाधा जी की कविता मन को छू रही है ।बधाई आप दोनों को ।
ReplyDeleteप्राकृतिक छटा बिखेरती सुंदर क्षणिका ।
ReplyDeleteभावपूर्ण.मर्मस्पर्शी अति सुंदर कविता ।शशि जी,रश्मि जी आप दोनों को बहुत बहुत बधाई
मन को छूती हुई कविताएं
ReplyDeleteबेहद ख़ूबसूरत,भावपूर्ण रचनाएँ .. आद.शशि जी,रश्मि जी को हार्दिक बधाई !!
ReplyDeleteशशि जी कविता ने दिल को छू लिया । मेघदूती बनकर आई बदरी से बचपन व अपने बिछुड़े अंगना की हर बात पूछी गयी है । जो बहुत मार्मिक है । बधाई शशि जी ।
ReplyDeleteरश्मि शर्मा जी की चित्र व कविता दोनोें खूबसूरत । बधाई
ReplyDeleteआप सभी का आभार। काम्बोज भैया को दिल से धन्यवाद
Deleteबहुत ख़ूबसूरत चित्र और क्षणिका...बहुत बधाई रश्मि जी।
ReplyDeleteमर्मस्पर्शी रचना... शशि जी हार्दिक बधाई।
रश्मि जी सूरज और डालियों के दृश्य की सुन्दर कल्पना की है आपने बधाई |शशि जी प्रवासी वेदना जो सभी प्रवासियों के मन में अकसर रहती है बहत सुन्दरता से अपने भावों को कविता में बांधा है हार्दिक बधाई स्वीकारें |
ReplyDeleteखूबसूरत क्षणिका रश्मि जी।
ReplyDeleteमर्मस्पर्शी कविता शशि जी।
आप दोनों को मेरी ओर से बधाई!
भावपूर्ण क्षणिका सशक्त चित्र बधाई रश्मि जी।
ReplyDeleteप्रकृति को प्रवासी मन दर्पण बनाती अदभुत रचना बधाई आपको आदरणीया शशि जी।
ReplyDeleteबहुत सुंदर रचना आदरणीय शशि जी
ReplyDeleteदोनों कविताएँ मन को छू लेतीं हैं। बहुत बधाई
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