पथ के साथी

Wednesday, January 1, 2020

941-जग बदले तो बात बने



 मुकेश बेनिवाल

जग बदले तो बात बने
हम बदलें तो बात बने
क्या होगा
तारीखों के बदलाव से
मन बदलें तो बात बने
ये बेसब्री ये उतावलापन 
साल का ये पागलपन
वो आधी रात तक जगना
वो जाम का छलकना
संदेशों का आदान-प्रदान
जश्न में डूबा ज़हान
हर साल एक और
ईंट जिन्दगी की ढह जाती है
आती- जाती ,घटती हुई
हर साँस ये कह जाती है
जिन्दगी कहाँ  सँभली है
सिर्फ़ तारीख ही तो बदली है
जज़्बात बदले तो बात बने
हालात बदले तो बात बने
दिन महीने साल नहीं
काली रात बदले तो बात बने

3 comments:

  1. मुकेश जी बहुत सुंदर और सार्थक कविता, एक एक शब्द सच्चा!हम बदलें और मन बदले,तभी बात बनेगी, आपको बहुत बहुत बधाई!

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  2. बहुत अच्छी प्रस्तुति
    नववर्ष मंगलमय हो आपका!

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  3. बहुत अच्छी और सच्ची कविता, हार्दिक बधाई मुकेश जी !

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