एक शिक्षक से मिलिए
सुलक्षणा
अगर सीखनी है सहनशीलता ,
एक शिक्षक से मिलिए ।
अगर सीखनी है सिखाने का धैर्य
,
एक शिक्षक से मिलिए ।
अगर सीखना है निष्ठापूर्वक
करना परिश्रम,
अगर सीखनी है कर्मठता,
एक शिक्षक से मिलिए ।
अपने बच्चों से तो सभी करते हैं प्यार ,
अगर सीखना है
दूसरे बच्चों के लिए
प्यार और लगाव , स्नेह
की फुहार
तो एक शिक्षक से मिलिए ।
दान तो सभी देते हैं ,
अगर देना चाहते हैं -सच्चा दान
वह है शिक्षा
का दान ,
तो एक शिक्षक से मिलिए ।
अगर सीखना चाहते हैं देकर ,
कुछ पाने की इच्छा ना करना ,
तो एक
शिक्षक से मिलिए ।
शिक्षक का आदिकाल में था बहुत सम्मान ,
पर खो रहा है अब उसका मान
अगर सीखनी है ऐसी सहनशीलता ,
तो एक
शिक्षक से मिलिए ।
ख़ूब मेहनत करने पर भी नहीं मिलता है
उसको उचित आदर सम्मान और स्थान
अगर सीखना है ऐसा कर्म निष्काम ,
तो एक
शिक्षक से मिलिए ।
शिक्षक एक है पर निभाता है भूमिका ,
माता- पिता और शुभचिंतक की
अगर सीखनी है ऐसी भूमिका का निर्वाह,
तो एक
शिक्षक से मिलिए ।
शिक्षक छात्र
का जीवन सँवारता है ,
बुनता है उसके
लिए सपने
अगर सीखनी है ऐसी
स्वप्नदर्शिता ,
तो एक शिक्षक से मिलिए ।
-0- सुलक्षणा, राजकीय प्रतिभा
विकास विद्यालय,सेक्टर-21 रोहिणी
दिल्ली
बहुत बढ़िया सुलक्षणा जी !
ReplyDeleteBahut sundar.
ReplyDeleteAmazing poem ma'am💓
ReplyDeleteAmazing peom
ReplyDeleteदिल्ली जैसे शहर में तो शिक्षक की भूमिका और चुनौतीपूर्ण है। एक शिक्षक के व्यक्तित्व को सुंदर शब्दों में व्यक्त किया गया है।सुंदर रचना के लिए बधाई।
ReplyDelete👏👏👏👏
ReplyDeleteVery nice. 👍
ReplyDeleteबेहद खूबसूरती से उकेरा है आपने शिक्षक भूमिका को।।
ReplyDeleteखूबसूरत पंक्तियाँ।।