आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल मंगलवार (10-12-2019) को "नारी का अपकर्ष" (चर्चा अंक-3545) पर भी होगी। -- सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है। -- हार्दिक शुभकामनाओं के साथ। सादर...! डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
तरु को दे पुलकन, सुंदर प्रयोग।
ReplyDeleteहार्दिक बधाई।
सुंदर हाइकु कमला जी, बधाई स्वीकारें!
ReplyDeleteचांदनी रात/तरु पहरेदार.....बढ़िया!!
सुंदर हाइकु , बधाई ।
ReplyDeleteरमेश कुमार सोनी , बसना
बहुत ही खूबसूरत हाइकु। बहुत बहुत बधाई💐
ReplyDeleteबहुत सुन्दर हाइकु, बधाई आपको ।
ReplyDeleteएक से बढ़कर हाइकु..
ReplyDelete....दे पुलकन,.....तरु पहरेदार... बहुत सुंदर
कमला जी हार्दिक शुभकामनाएँ
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल मंगलवार (10-12-2019) को "नारी का अपकर्ष" (चर्चा अंक-3545) पर भी होगी।
ReplyDelete--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
एक से बढ़कर हाइकु। बहुत सुंदर
ReplyDeleteकमला जी हार्दिक शुभकामनाएँ
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ReplyDeleteसभी हाइकु बहुत बढ़िया ।बधाई कमला जी
ReplyDeleteअति सुंदर हाइकु
ReplyDeleteबहुत सुन्दर हाइकु. बधाई.
ReplyDeleteबहुत खूब कमला जी |चन्द्रकिरण / पतझड़ी तरु को /दे पुलकन | सुन्दर शब्द प्रयोग | बधाई हो |
ReplyDeleteबहुत ख़ूबसूरत हाइकु...हार्दिक बधाई कमला जी।
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ReplyDeleteख़ूबसूरत हाइकु कमला जी, हार्दिक बधाई !
चांदनी रात/तरु पहरेदार.....बहुत खूब !
सभी सुन्दर हाइकु और प्रभावी चिन्तन।
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