पथ के साथी

Sunday, December 8, 2019

939-सर्दी की रात


कमला  निखुर्पा

1
सर्दी की रात
रश्मिरथी बनके 
आया है चाँद।


2
चंद्र- किरण
पतझड़ी तरु को
दे पुलकन।
3
चंदा के मीत
चकवी- संग गाएँ
मिलन गीत।
4
चाँदनी रात
तरु पहरेदार
खड़े तैयार। 
-0-

16 comments:

  1. तरु को दे पुलकन, सुंदर प्रयोग।
    हार्दिक बधाई।

    ReplyDelete
  2. सुंदर हाइकु कमला जी, बधाई स्वीकारें!
    चांदनी रात/तरु पहरेदार.....बढ़िया!!

    ReplyDelete
  3. सुंदर हाइकु , बधाई ।
    रमेश कुमार सोनी , बसना

    ReplyDelete
  4. बहुत ही खूबसूरत हाइकु। बहुत बहुत बधाई💐

    ReplyDelete
  5. बहुत सुन्दर हाइकु, बधाई आपको ।

    ReplyDelete
  6. एक से बढ़कर हाइकु..
    ....दे पुलकन,.....तरु पहरेदार... बहुत सुंदर
    कमला जी हार्दिक शुभकामनाएँ

    ReplyDelete
  7. आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल मंगलवार (10-12-2019) को    "नारी का अपकर्ष"   (चर्चा अंक-3545)   पर भी होगी। 
    -- 
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है। 
    -- 
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।  
    सादर...! 
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' 

    ReplyDelete
  8. एक से बढ़कर हाइकु। बहुत सुंदर
    कमला जी हार्दिक शुभकामनाएँ

    ReplyDelete
  9. This comment has been removed by the author.

    ReplyDelete
  10. सभी हाइकु बहुत बढ़िया ।बधाई कमला जी

    ReplyDelete
  11. अति सुंदर हाइकु

    ReplyDelete
  12. बहुत सुन्दर हाइकु. बधाई.

    ReplyDelete
  13. बहुत खूब कमला जी |चन्द्रकिरण / पतझड़ी तरु को /दे पुलकन | सुन्दर शब्द प्रयोग | बधाई हो |

    ReplyDelete
  14. बहुत ख़ूबसूरत हाइकु...हार्दिक बधाई कमला जी।

    ReplyDelete


  15. ख़ूबसूरत हाइकु कमला जी, हार्दिक बधाई !
    चांदनी रात/तरु पहरेदार.....बहुत खूब !

    ReplyDelete
  16. सभी सुन्दर हाइकु और प्रभावी चिन्तन।

    ReplyDelete