पथ के साथी

Thursday, September 5, 2019

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गुरु का वास
मुकेश बाला

कहता है सारा जहाँ
गुरु बिना ज्ञान कहाँ
ज्योति हृदय में जगा दे
दूर हर डर को भगा दे
गुरु प्रकृति का वरदान 
ये है दूसरा भगवान
जीवन जहाँ से शुरू
माता वो पहला गुरु
कभी पिता का रूप धरे
राह को जो रोशन करे
मिले जब गुरु का ज्ञान
जगत में बढ़े सम्मान
हृदय में हो गुरु का वास
तो खत्म होगी हर तलाश
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8 comments:

  1. गुरु प्रकृति का वरदान/ये है दूसरा भगवान.. गुरु के महत्व को अत्यंत सहज ढंग से व्यक्त करती एक सुंदर कविता के लिये मुकेश बाला जी को बधाई

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  2. बहुत सुंदर, सत्य को दर्शाती रचना! हार्दिक बधाई मुकेश बाला जी!
    ~सादर
    अनिता ललित

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  3. बहुत सुंदर रचना ... हार्दिक बधाई मुकेश बाला जी।

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  4. मुकेश बाला जी बहुत सुंदर रचना है, सच मे गुरु बिन ज्ञान कहाँ से आये!!आपको हार्दिक बधाई।

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  5. बहुत सुंदर रचना मुकेश जी। हार्दिक बधाई

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  6. एक बहुत प्यारी कविता के लिये मुकेश बाला जी को बधाई !!

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  7. बहुत सुन्दर

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  8. एक सुन्दर कविता के लिए मुकेश बाला जी को बहुत बधाई

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