गुरु का वास
मुकेश बाला
कहता है सारा जहाँ
गुरु बिना ज्ञान कहाँ
ज्योति हृदय में जगा दे
दूर हर डर को भगा दे
गुरु प्रकृति का वरदान
ये है दूसरा भगवान
जीवन जहाँ से शुरू
माता वो पहला गुरु
राह को जो रोशन करे
मिले जब गुरु का ज्ञान
जगत में बढ़े सम्मान
हृदय में हो गुरु का वास
तो खत्म होगी हर तलाश
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गुरु प्रकृति का वरदान/ये है दूसरा भगवान.. गुरु के महत्व को अत्यंत सहज ढंग से व्यक्त करती एक सुंदर कविता के लिये मुकेश बाला जी को बधाई
ReplyDeleteबहुत सुंदर, सत्य को दर्शाती रचना! हार्दिक बधाई मुकेश बाला जी!
ReplyDelete~सादर
अनिता ललित
बहुत सुंदर रचना ... हार्दिक बधाई मुकेश बाला जी।
ReplyDeleteमुकेश बाला जी बहुत सुंदर रचना है, सच मे गुरु बिन ज्ञान कहाँ से आये!!आपको हार्दिक बधाई।
ReplyDeleteबहुत सुंदर रचना मुकेश जी। हार्दिक बधाई
ReplyDeleteएक बहुत प्यारी कविता के लिये मुकेश बाला जी को बधाई !!
ReplyDeleteबहुत सुन्दर
ReplyDeleteएक सुन्दर कविता के लिए मुकेश बाला जी को बहुत बधाई
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