डॉ.पूर्वा शर्मा
1.
श्रावण
मास
ले
बैठा वड़ोदरा
जल
समाधि ।
2.
कैसा
कहर
विश्वामित्री
उफनी
डूबा
शहर ।
3.
कजरी
गाते
शहर
में मगर
गश्त
लगाते ।
4.
ढूँढते
भोज
गली-शहर
घूमे
मगर-फौज
।
5.
पार
लगाती
एन
डी आर एफ
जान
बचाती ।
6.
बाढ़
ने मारा
मानवता
सहारा
कोई
न हारा ।
7.
वर्षा
तांडव
चीखे
मेघ, तड़ित
धरा
प्लावित ।
8.
डूबता
कैसे?
लबालब
बड़ौदा
हौंसला
जिंदा ।
9.
माँगी
थी बूँदें
मिल
गया सागर
रॉंग
नंबर ।
10.
जलीय
बने
सिर
तक पानी में
तैरते
चले ।
11.
पार
लगाते
वासुदेव
दरोगा*
बच्ची
बचाते ।
-0-
*वासुदेव की तरह पुलिस कर्मी ने नन्ही-सी
बच्ची को सर पर उठा कर बाढ़ग्रस्त क्षेत्र से बचाया ।
बाढ़ के दुष्परिणामों का सजीव वर्णन ।बहुत सुंदर हाइकु।बधाई पूर्वा जी
ReplyDeleteबाढ़ में शहर का चित्रण प्रभावी ढंग से किया है। पूर्वा जी को बधाई!
ReplyDelete- डाॅ. कुँवर दिनेश, शिमला।
बाढ़ में शहर का चित्रण प्रभावी ढंग से किया है। पूर्वा जी को बधाई!
ReplyDelete- डाॅ. कुँवर दिनेश, शिमला।
कुदरत के कहर और मानव के हौसले को दर्शाती सुंदर रचना...बहुत खूब पूर्वा जी!!
ReplyDeleteबाढ़ के कहर का सुन्दर चित्रण!बधाई पूर्वा जी!
ReplyDeleteबाढ़ की विभीषिका के मध्य मानवीय संवेदनाओं का अत्यंत सजीव एवम प्रभावी चित्रण।सुंदर बिम्ब।बधाई पूर्वा जी।
ReplyDeleteबाढ़ में डूबे शहर पर रचे सजीव हाइकु हार्दिक बधाई |
ReplyDeleteदिल से लिखे बेहद सजीव हाइकु, दिल से ही बधाई आपको पूर्वा जी !!
ReplyDeleteप्रकृति के प्रकोप का सुंदर चित्रण... पूर्वा जी हार्दिक बधाई।
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