1-डॉ.ज्योत्स्ना
शर्मा
1
अभिमंत्रित
मुग्ध-मुग्ध
मन
मगन
हो गई,
लो
आज धरती
गगन
हो गई ।
2
दूर
क्षितिज में
करता
वंदन
नभ
नित
साँझ-सकारे
प्रतिपूजन
में
धर
कर दीप धरा भी
मिलती
बाँह पसारे !
3
मौन
भावों के
जब
उन्होंने
अनुवाद
कर दिए,
किसी
ने भरा प्रेम
किसी
ने उनमें
आँसू
भर दिए।
4
तरंगायित
है
आज
वो
ऐसी
तरंगों से
भर
देगा जग को
प्यार
भरे रंगों से ।
-०-
अति सुंदर सृजन, हार्दिक बधाई, डॉ ज्योत्स्ना जी।
ReplyDeleteबहुत सुंदर | ज्योत्स्ना जी हार्दिक बधाई |
ReplyDeleteसुन्दर रचनाएँ ...बधाई स्वीकारें |
ReplyDeleteपूर्वा शर्मा
प्रेरक प्रतिक्रिया सहित उपस्थिति के लिए आदरणीया कृष्णा दीदी , कविता जी एवं पूर्वा जी का हृदय से आभार !
ReplyDeleteयहाँ स्थान देने के लिए आदरणीय काम्बोज भैया जी का भी हार्दिक धन्यवाद !
सादर
ज्योत्स्ना शर्मा
बहुत सुंदर क्षणिकाएँ ज्योत्सना जी। हार्दिक बधाई।
ReplyDeleteसुंदर, भावपूर्ण सृजन ज्योत्स्ना जी | बधाई |
ReplyDeleteसुंदर, मनोरम भाव भरी । वाह।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रचनाएँ, बधाई ज्योत्स्ना जी.
ReplyDeleteप्रेरक प्रतिक्रिया के लिए आप सभी का बहुत-बहुत धन्यवाद |
ReplyDeleteसदैव स्नेहाशीष की कामना के साथ
ज्योत्स्ना शर्मा
बहुत ही सुंदर भावाव्यक्ति
ReplyDeleteहार्दिक बधाई
Bahut sundar rachnayen bahut bahut badhai jyotsana ji.
ReplyDeleteबहुत सुंदर रचनाएँ| ज्योत्स्ना जी हार्दिक बधाई |
ReplyDeleteस्नेहसिक्त प्रतिक्रिया के लिए आपका आभार !
ReplyDeleteमौन भावों के
ReplyDeleteजब उन्होंने
अनुवाद कर दिए,
किसी ने भरा प्रेम
किसी ने उनमें
आँसू भर दिए।
हृदयस्पर्शी सृजन ,हार्दिक बधाई👌👌👌👌👌
aabhaar aapaka !
ReplyDeleteबहुत प्यारी क्षणिकाएँ , बधाई
ReplyDeleteआभार प्रियंका जी
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