1-डॅा.ज्योत्स्ना शर्मा
1
तुमसे उजियारा है
गीत मधुर होगा
जब मुखड़ा प्यारा है।
2
चन्दन है, पानी है
शीतल, पावन -सी
तस्वीर बनानी है।
3
कुछ नेह भरा रख दो
मन के मन्दिर में
तुम धूप जरा रख दो ।
-0-
मचल रही घनघोर घटा सी नेह सुधा बरसाने को ।
पिहुँ प्यासे चातक बन आना मन मेरा बहलाने को।
हुआ बावरा मन बंजारा दहक रहा मन बंजर है ।
मन आहत चाहत में तेरी व्याकुलता का मंज़र है
पल दो पल को ही आजाते यूँ ही तुम भरमाने को
पिहुँ प्यासे चातक बन आना मन मेरा बहलाने को।
प्रणय-ग्रन्थ नयनो में मेरे खुद नयनों में पढ़ लेना
लेकर अलिंगन मे मुझको खुद को मुझ में गढ़ लेना ।
प्रीति-महक पुरवाई लाई जग सारा महकाने को।
पिहुँ प्यासे चातक बन आना मन मेरा बहलाने को।
मैंने सार लिया है साजन खंजन से नैनों अंजन।
आकर देखो खुद में सिमटी अनहद प्रियतम की
"गुंजन"।
ये जीवन अनबूझ पहेली आजाओ सुलझाने को ।
पिहुँ प्यासे चातक बन आना मन मेरा बहलाने को।
अनहद गुंजन
पावनता की धूप से सुवासित माहिया . शब्द चयन और लय का अनूठा सामंजस्य .गुंजन का गीत भी बहुत भाव -प्रवण है .
ReplyDeleteबहुत ही सुंदर और भावपूर्ण सृजन
ReplyDeleteहार्दिक बधाई ज्योत्स्ना जी एवं गुंजन जी
ज्योत्स्ना जी मनभावन माहिया 👏👏👏
ReplyDeleteगुंजन जी शानदार रचना
🌷🌷🌷🌷🌷
आप दोनों को हार्दिक बधाई ।
बहुत सुंदर सरस माहिया और गीत ज्योत्स्ना जी, गुंजन जी हार्दिक बधाई।
ReplyDeleteप्रिय ज्योत्स्ना के मृदुल माहिया व अनहद गुँजन के सरस गीत के लिये स्नेह - बधाई ।
ReplyDeleteगुंजन जी बहुत सरस गीत , हार्दिक बधाई आपको !
ReplyDeleteमेरे अभिव्यक्ति को यहाँ स्थान देने के लिए सम्पादक जी का बहुत-बहुत आभार !!
सादर
ज्योत्स्ना शर्मा
प्रेरक प्रतिक्रियाओं के लिए आ. काम्बोज भैया जी , कृष्णा दीदी , विभा दीदी , सत्या जी एवं सुनीता जी के प्रति हृदय से आभार व्यक्त करती हूँ |
ReplyDeleteसादर
ज्योत्स्ना शर्मा
मेरे सृजन को सहज साहित्य में स्थान देने के लिए आ0 रामेश्वर कम्बोज भैया आपका तहे दिल से आभार....🙏🙏
ReplyDeleteआ0 ज्योत्स्ना दी बहुत ही खूबसूरत तीनों माहिये आपको अनेकानेक हार्दिक बधाई....💐💐
ReplyDeleteआ0 कम्बोज भैया, विभा जी, कृष्णा जी, सुनीता जी, ज्योत्स्ना दी एवम सत्या जी आप सभी के प्रोत्साहन के प्रति हृदय से आभार व्यक्त करती हूँ |🙏🙏
बहुत सुंदर हय
ReplyDeleteशुक्रिया बेहद आभार आपका...🙏
Deleteवाह गुंजन बहुत सुंदर गीत
ReplyDeleteशुक्रिया नील भाई....🙏
Deleteअतिसुन्दर माहिया एवं कविता दोनों! हार्दिक बधाई ज्योत्स्ना जी एवं गुंजन जी!
ReplyDelete~सादर
अनिता ललित
आदरणीय / आदरणीया आपके द्वारा 'सृजित' रचना ''लोकतंत्र'' संवाद मंच पर 'सोमवार' १६ अप्रैल २०१८ को साप्ताहिक 'सोमवारीय' अंक में लिंक की गई है। आमंत्रण में आपको 'लोकतंत्र' संवाद मंच की ओर से शुभकामनाएं और टिप्पणी दोनों समाहित हैं। अतः आप सादर आमंत्रित हैं। धन्यवाद "एकलव्य" https://loktantrasanvad.blogspot.in/
ReplyDeleteटीपें : अब "लोकतंत्र" संवाद मंच प्रत्येक 'सोमवार, सप्ताहभर की श्रेष्ठ रचनाओं के साथ आप सभी के समक्ष उपस्थित होगा। रचनाओं के लिंक्स सप्ताहभर मुख्य पृष्ठ पर वाचन हेतु उपलब्ध रहेंगे।
निमंत्रण
विशेष : 'सोमवार' १६ अप्रैल २०१८ को 'लोकतंत्र' संवाद मंच अपने साप्ताहिक सोमवारीय अंक में ख्यातिप्राप्त वरिष्ठ प्रतिष्ठित साहित्यकार आदरणीया देवी नागरानी जी से आपका परिचय करवाने जा रहा है। अतः 'लोकतंत्र' संवाद मंच आप सभी का स्वागत करता है। धन्यवाद "एकलव्य" https://loktantrasanvad.blogspot.in/
प्रेम रस से सरोबर हाइकू और रचना ...
ReplyDeleteअनेक रंग समेटे जीवन और मधुर प्रेम के .... बहुत सुंदर दोनों ...
सुंदर सृजन
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ReplyDeleteबहुत ही प्यारी रचनाएँ ...हार्दिक बधाई ज्योत्स्ना जी एवं गुंजन जी!!
~सादर
प्रेरक प्रतिक्रियाओं के लिए आप सभी का हृदय से आभार !
ReplyDeleteसादर
ज्योत्स्ना शर्मा
खूबसूरत से माहिया और सुन्दर से गीत के लिए मेरी बधाई स्वीकारें...|
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