रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’
1
मिट जाएँगी दूरियाँ, होगा दुख का नाश।
आलिंगन में बाँधकर,कस लेना
भुजपाश।
2
तुम प्राणों की प्यास हो,नम
आँखों का नूर।
पल भर कर पाता नहीं,तुमको मन से
दूर।
3
जब ,जहाँ और जिस घड़ी,तुम होते
बेचैन।
दूर यहाँ परदेस में, भर- भर आते
नैन।।
4
खुशी देख पाते नहीं,इस दुनिया के
लोग ।
जलने का इनको लगा,युगों -युगों
से रोग।।
5
हम तुम कुछ जाने नहीं,कितनी गहरी
धार।
गहन प्यार की नाव पर,चले सिन्धु
के पार।
6
तेरे दुख में जागते,कटती जाती रात।
तपता माथा चूमते,हुआ अचानक
प्रात।।
7
कुछ मैंने माँगा नहीं,बस दो बूँदें प्यार।
बदले में दे दो मुझे, अपने दुख का
भार।।
8
अपनों के आगे बही ,मन की सारी
पीर।
हँसी खो गई भीड़ में,मन पर खिंची
लकीर
9
झेलूँ सारी चोट मैं ,ना पहुँचाऊँ
ठेस।
कितने भी संघर्ष हों, दूँ
नहीं तुम्हें क्लेश।
10
युगों- युगों तक भी रहे, अपना यह सम्बन्ध।
करें टूटकर प्यार हम, बस इतना अनुबन्ध।।
वाव, बहुत सुंदर🙏😊
ReplyDeleteखुशी देख पाते नहीं,इस दुनिया के लोग ।
ReplyDeleteजलने का इनको लगा,युगों -युगों से रोग।।
एकदम सटीक बात...| पता नहीं क्यों कोई किसी को खुश देख कर सबसे ज़्यादा दुखी होता है |
सभी दोहे मन को छू गए एकदम, जिनमे से ये भी एक है-
जब ,जहाँ और जिस घड़ी,तुम होते बेचैन।
दूर यहाँ परदेस में, भर- भर आते नैन।।
हार्दिक बधाई...|
बेहद रसमय,अनुपम दोहे।बधाई।
ReplyDeleteमनभावन दोहे !
ReplyDeleteबहुत ही सुंदर , उम्दा दोहे
ReplyDeleteबहुत सुंदर! हार्दिक बधाई!
ReplyDelete"जब, जहाँ और जिस घड़ी, तुम होते बेचैन।
दूर यहाँ परदेस में, भर भर आते नैन।।
- तदनुभूति की मार्मिक अभिव्यक्ति।
सुन्दर दोहे ! अनुपम भावधारा है , हार्दिक बधाई आपको !
ReplyDeleteबहुत सुंदर, मनभावन दोहे आदरणीय 🙏🙏🙏🙏हार्दिक बधाई ।
ReplyDeleteहृदय स्पर्शी प्रेम दोहे रामेश्वर सर... अति सुंदर
ReplyDeleteबार बार पढ़ने पर भी मन नहीं भरता
बहुत सुंदर सरस मनभावन दोहे....हार्दिक बधाई।
ReplyDeleteवाह!!उत्तम एवं हृदयस्पर्शी!!नमन सर
ReplyDeleteवाह ! सभी दोहे एक से बढ़ कर एक..
ReplyDeleteआप सभी का मैं अत्यन्त आभारी ।
ReplyDeletehttps://youtu.be/UMpVpZf4jwI
ReplyDeleteआदरणीय सर !आपके दोहों का गायन मैंने अपनी आवाज में किया है।इस लिंक पर आप सुन सकते हैं। आपने इतना भावपूर्ण सृजन किया है कि मैं गुनगुनाये बिना नही रह सकी।नमन!!
बहुत आभार पूर्णिमा जी
Deleteसभी दोहे भावपूर्ण व एक से बढ़कर एक हैं । सुन्दर सरस दोहों के लिये हार्दिक बधाई हिमांशु भाई ।
ReplyDeleteबहन विभा जी हार्दिक आभार
Deleteबहुत बढ़िया
ReplyDeleteओंकार जी आपका ह्रदय से आभार
Deleteहार्दिक बधाई अति मार्मिक एवं सुन्दर दोहों के लिए।
ReplyDeleteकविता जी हार्दिक धन्यवाद
DeleteBahut marmik, bahut man ko sparsh karte dohe bahut bahut badhai aapko kamboj ji...
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद,भावना जी
Deleteबहुत कमाल के दोहे हैं सभी ...
ReplyDeleteप्रखरता से बात रखते हुए ... दिल को छूते हुए ...
दिगंबर नास्वा जी आपका ह्रदय से आभार
Deleteएक से बढ़कर एक दोहे! दिल से निकले ... दिल को छू गए ..
ReplyDelete~सादर
अनिता ललित
हार्दिक धन्यवाद ,अनिता ललित बहन
Deleteकमाल के दोहे भैया जी....सादर नमन आपकी लेखनी को !
ReplyDeleteबहुत सुन्दर भावों की रसमय धार ...मन भीतर तक भीज गया!
ReplyDeleteबहुत-बहुत बधाई आपको भैया जी !
सभी दोहे उत्कृष्ट हैं और मन को गहरे छू गए. बहुत बधाई काम्बोज भाई.
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