शशि पुरवार
रात
1
चाँदी की थाली सजी,
तारों की सौगात
अंबर से मिलने लगी, प्रीत सहेली रात।
अंबर से मिलने लगी, प्रीत सहेली रात।
2
रात सुरमई मनचली, तारों लिखी किताब
चंदा को तकते रहे, नैना भये गुलाब।
3
आँचल में गोटे जड़े, तारों की बारात
अंबर से चाँदी झरी, रात बनी परिजात।
अंबर से चाँदी झरी, रात बनी परिजात।
4
रात शबनमी झर रही, शीतल चली बयार
चंदा उतरा झील में, मन कोमल कचनार।
५
कल्पवृक्ष वन वाटिका, महका हरसिंगार
वन में बिखरी चाँदनी, रात करें श्रृंगार।
6
नैनों के दालान में, यादों हैं जजमान
गुलमोहर दिल में खिले, अधरों पर मुस्कान
7
रात चाँदनी मदभरी, तारें हैं जजमान
नैनों की चौपाल में, यादें हैं महमान।
नैनों की चौपाल में, यादें हैं महमान।
8
आँखों में निंदिया नहीं, सपने कुछ वाचाल
यादें चादर बुन रहीं, खोल जिया का हाल
9
एक अजनबी से लगे,
अंतर्मन जज्बात
यादों की झप्पी मिली, मन, झरते परिजात
10
सर्द हवा में ठिठुरते, भीगे से अहसास
आँखों में निंदिया नहीं, यादों का मधुमास
11
बैचेनी दिल में हुई , मन भी हुआ उदास
काटे से दिन ना कटा, रात गयी वनवास
काटे से दिन ना कटा, रात गयी वनवास
12
पल भर में ऐसे उड़े, मेरे होश-हवास
बदहवास- सा दिन खड़ा, बेकल रातें
पास
13
संध्या के द्वारे खड़ी, कोमल कमसिन रात
माथे पर चंदा सजा, चाँदी शोभित गात
14
अच्छे दिन की आस में, बदल गए हालात
फुटपाथों पर सो रही, बदहवास की रात
फुटपाथों पर सो रही, बदहवास की रात
-0-
शशि पुरवार जी के सच्चे - अच्छे दोहे । खूब बधाई लो ।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर दोहे शशि जी !
ReplyDeleteहार्दिक बधाई !!
बहुत सुन्दर दोहे,बधाई शशि जी
ReplyDeleteदोहों में शशि जी नें दाल दी है एक नयी सी जान|
ReplyDeleteऐसे सुंदर भावों से तन-मन में छ गयी मुस्कान ||
आपने तो श्रंगार कवि विहारी को याद करा दिया | श्याम त्रिपाठी -हिंदी चेतना
निमंत्रण :
ReplyDeleteविशेष : आज 'सोमवार' १९ फरवरी २०१८ को 'लोकतंत्र' संवाद मंच ऐसे ही एक व्यक्तित्व से आपका परिचय करवाने जा रहा है जो एक साहित्यिक पत्रिका 'साहित्य सुधा' के संपादक व स्वयं भी एक सशक्त लेखक के रूप में कई कीर्तिमान स्थापित कर चुके हैं। वर्तमान में अपनी पत्रिका 'साहित्य सुधा' के माध्यम से नवोदित लेखकों को एक उचित मंच प्रदान करने हेतु प्रतिबद्ध हैं। अतः 'लोकतंत्र' संवाद मंच आप सभी का स्वागत करता है। धन्यवाद "एकलव्य" https://loktantrasanvad.blogspot.in/
टीपें : अब "लोकतंत्र" संवाद मंच प्रत्येक 'सोमवार, सप्ताहभर की श्रेष्ठ रचनाओं के साथ आप सभी के समक्ष उपस्थित होगा। रचनाओं के लिंक्स सप्ताहभर मुख्य पृष्ठ पर वाचन हेतु उपलब्ध रहेंगे।
सुन्दर सार्थक दोहे | नैना भये गुलाब / चन्दा उतारा झील में / नैनों की चौपाल में / यादों की झप्पी मिली / बदहवास सी रात --वाह क्या कहने !--सुरेन्द्र वर्मा |
ReplyDeleteसभी सुंदर और सार्थक दोहे
ReplyDeleteबहुत मनभावन दोहे । हार्दिक बधाई शशि पुरवार जी
ReplyDeleteबहुत सुंदर एवं भावपूर्ण दोहे शशि जी! हार्दिक बधाई आपको!!!
ReplyDelete~सादर
अनिता ललित
बहुत सुन्दर और सार्थक दोहे शशि जी !
ReplyDeleteहार्दिक बधाई !!
बहुत सुंदर दोहे शशि जी हार्दिक बधाई!
ReplyDeleteइन सभी प्यारे दोहों के लिए बधाई स्वीकारें शशि जी...|
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