वहीं करतार रहता है
-कवि राजेश
पुरोहित,भवानीमंडी
गरीबों में ईश्वर जिसने खोजा
है।
असल में वहीं करतार रहता है।।
योजनाओं का लाभ मिले उन्हें।
जो असल में हकदार रहता है।।
मेरे शहर में डेंगू ने पैर
पसारे है।
हर कोई अब बीमार रहता है।।
घरों में अपनत्व नहीं रहा जबसे।
हर कोई यहाँ लाचार रहता है।।
करूँ किस तरह प्यार की बातें।
करना जिसमें इजहार रहता है।।
मतलब परस्ती में जो जीते यहाँ।
मेरी नज़र में धिक्कार रहता है।।
वतन की खा राग दुश्मन के गाते।
वो शख्स अक्सर गद्दार रहता है।।
पाक तेरी हरकत घिनोनी होती है।
तेरे भीतर छुपा मक्कार रहता
है।।
बुजुर्गों की जहाँ खिदमत होती
है।
‘पुरोहित’
वही परिवार रहता है।।
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123rkpurohit@gmail.com
सुंदर रचना
ReplyDeleteबहुत ही बेहतरीन सृजन
ReplyDeleteबहुत ही बेहतरीन सृजन
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रचना है राजेश पुरोहित जी ।
ReplyDeleteसुंदर रचना राजेश पुरोहित जी हार्दिक बधाई ।
ReplyDeleteसुंदर सृजन। बधाई
ReplyDeleteसुन्दर सृजन ,हार्दिक बधाई !
ReplyDeleteबुजुर्गों की जहाँ खिदमत होती है।
ReplyDelete‘पुरोहित’ वही परिवार रहता है।
...बहुत सही ...
बहुत सुंदर सृजन...हार्दिक बधाई।
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रचना, बधाई राजेश जी
ReplyDeleteBahut sundar rachna bahut bahut badhai
ReplyDeleteसुंदर रचना के लिए हार्दिक बधाई...।
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