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माटी का मोल (हरियाणवी)
माटी का मोल
वर्षा राना
वर्षा राना |
सत्य अहिंसा ना
रहगी इब चालाकी हत्थयार होई
बिन सीढी मंजिल
ढुंढै या कैसी पौध त्यार होई।।
खोटी करणी का घारा
घलरया बिना न्यार गंड्यासा चलरया
जीन्नस आले खेत खोस
कै ईब माटी का मोल रै लगरया।।
ढुंढे तै भी मिलते
कोन्या बावन कलिये दामन
घाट बचे है गामां
म्ह जनेऊ धारणीये बामण।।
आधी रात शिखर तै
ढलगी हुया पहर का तड़का
घणे मित्र तै दगा
कुमागै भुल्ले बाप भाई का धड़का।।
आडै जस्टिन बिबर
मुन्नी शीला नै निरे छडदम तारे है
लख्मीचंद रामसिंह
की गेट्टी पै इन्है कहवाड़े मारे है।।
जमाकै विदेशी बाणा
अर बछेरे की तरिया कूद कूद कै
गाणां करकै थम कुणसे मैडल पैगे रै
बडे बुडढयां के खड़गे
, तुर्रे
अर धुन खाप की रुलागे रै।।
पह्लाम अपनी
संस्कृति पश्चिमी सभ्यता के नंगे नाच पै रे उडाई
जिब यु सांग रास ना
आया फेर बाबया के चकरा म्ह लुटायी।।
सारा करणीया धरणीया
हौके क्युं तु अनजान अनबोल रै बणरया
जीन्नस आले .................................................
ब्रह्मा समान पूजनीय
था पंचैती फैसलया तै पंचैत लड़ैथा
जेवड़े जिसे सबर आले
माणस का साफ नियत तै इंसाफ करै था।।
समय का पहिया कड़थल
खा गया किसा गजब यु चाला पटगया
एके चेहरा सयामी
दिखै नौ चेहरे रावण भी गोज म्ह धरगया।।
ठाडा पंचैती इज्जत, पिस्से , शोहरत आला होकै भी
खोटी नित लालच पै
धरगया
मेहनत करणीये का
गाढा लहू भी रिशवत की चवन्नी म्ह पिसकै पानी बन गया।।
रै देख कै नै जिभ
काढले कदे चवन्नी देणीया ही पैर ना धरजया
जीन्नस आले .................................................
चलो संस्कृति नै
बचान खातर कोई दूसरा राह टोहलयो रै
छोड कै नै ड्रम, प्यानो, तबले घडूआ बांजु पै कोई देशी रागनी मोहलयो
रै।।
जो टक्कर म्ह आवेगा
म्हारी ओ जांदा ए खाट पकड़ैगा
नाड़ी जालेगी कुहणी
म्ह ओ हफ्ता मुश्कल औटेगा।।
फेर कहवांगे डेठ
मारकै हम आ बंशी, छोटूराम,लख्मी ,
हरफूल , तैयार देशी घी दूधां तै होरे है
आज्यो डटज्यो जे दम
हो तो थारे फूफे हरियाणे तै आ रहे है।।
यू ज्जबा , मेहनत , लगन इंद्रधनुष के सातो रंग पलटज्यागा
जूणसे जूणसे माटी
पै नजर टिकयारे सारया नै मोल का बेरा पटज्यागा।।
-0- गाँव/डाकघर-सग्गा, तहसील-निलोखेडी, जिला-करनाल
-132001
( हरियाणा)
हरियाणवी में बहुत सुन्दर सृजन के लिये बधाई ।खूब लिखो । शुभाशीष लो वर्षा बेटा ।
ReplyDeleteबहुत सुंदर सृजन। बधाई
ReplyDeleteबहुत सुंदर रचना बिटिया रानी ...खूब लिखो शुभ आशीर्वाद ।
ReplyDeleteबधाई शुभाशीष
ReplyDeleteItni sunder rachna ke lie is nnhin gudya ko bhut sari badhaaee. Shiam tripathi -Hindi Chetna
ReplyDeleteDhanyaavaad guru jii
Deleteबहुत सुंदर रचना...बहुत बधाई।
ReplyDeletebahutsundar rachna badhaiVarsha
ReplyDeletepushpa mehra
सुन्दर भावभरी मनोहर रचना ...हार्दिक बधाई ...आपकी लेखनी सदैव ऐसे ही सुन्दर ,सार्थक सृजन में संलग्न रहे !
ReplyDeleteसुन्दर रचना , बधाई
ReplyDeletechhote se kalakar ki bahut badi si rachna bahut bhavpurn bahut sari shubhkamnayen beta aapko...khub aage badho..
ReplyDeleteकिसी स्थान विशेष की अपनी भाषा में रचना पढ़ने का एक अलग ही आनंद होता है...| बहुत प्यारी रचना...मेरी हार्दिक बधाई...|
ReplyDeleteबहुत बढ़िया
ReplyDeleteसुन्दर रचना
ReplyDeleteसुंदर भावपूर्ण रचना
ReplyDeleteहाथ जोडकर धन्यवाद जी सभी का🙏🙏🙏
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