समय का समय
डॉ सुषमा गुप्ता
रात भर वो चेहरा
मेरे हाथों में था...
उसकी आँखों में दिख
रही थी
मुझे अपनी उदास आँखें
...
बीते हुए वक्त की राख
...
और
दर्द से उबलते पलों का
धुआँ ।
बहुत चाहा मन ने
लौट आए बीता समय
पर
समय का समय बदलना...
आसाँ होता
तो क्या बात थी
एक रोज़
एक ठंडी- सी शाम
जब अचानक चले गए थे
तुम..
उस रात मौसम से ज्यादा
सर्द
ज़हन था मेरा ..
ठंडा.... ठहरा ...
और लगभग मरा हुआ ।
बहुत महीनों और बहुत
सालों
के सूरज ने मिल कर
जद्दोजहद की
...
तब कहीं कुछ गरमाहट
मेरे वजूद के हिस्से
आई ...
पर प्राण फूँके के नहीं
ये अब भी नहीं पता...
जड़ को चेतन करना
आसाँ होता
तो क्या बात थी
तुमने चाहा था कभी
मेरा
मुझ जैसा न होना...
कुछ ख्वाहिशें जताई थी
और कुछ बंदिशें
जोड़ दी उनके पीछे ....
जैसे यूँ ही आदतन
छोड़ दी जाए थाल में
रोटी
तृप्ति के बाद...
कि जो बचा है
लो
वो बस तुम्हारा ....
पर
मन का पेट
बचे टुकड़ों से भरना
आसाँ होता
तो क्या बात थी
मेरे पास कल भी
नहीं थी ..
मेरे पास आज भी
नहीं है ...
वो जादुई स्याही
जो जिंदगी के पन्नों
से
सहूलियत से
मिटा दे
आने जाने वाले
खानाबदोशों के
बेतरतीब से लिखे
हर्फ़...
और फिर से कोरा कर दे
उसे नई कहानी के लिए
...
काले रंग पे रंग भरना
आसाँ होता
तो क्या बात थी
समय का समय बदलना ....
आसाँ होता
तो क्या बात थी !
-0-
समय का समय बदलना आसाँ होता तो क्या बात थी । वाह ! बहुत सुन्दर है कविता सुषमा जी ।
ReplyDeleteसुषमा जी , इतनी गहन बात कह डाली आपने इस कविता में कि अब तक मन तन कांप रहा है । बहुत बहुत बधाई आपको
ReplyDeleteवाह, क्याबात है !सुषमा जी |
ReplyDeleteभावप्रणव कविताएँ । बहुत सुंदर ।बधाई ।
ReplyDeleteह्रदयस्पर्शी सृजन के लिए हार्दिके बधाई सुषमा जी ।
ReplyDeleteवाह सुषमा जी बधाई हो | मन का पेट बचे टुकड़ों से भरना आसान होता तो क्या बात थी ...सुन्दर भाव |
ReplyDeleteसुषमा जी बधाई हो बहुत ही सुन्दर भाव लिए कविता है |मन का पेट बचे टुकड़ों से भरना आसान होता तो क्या बात थी |
ReplyDeleteलाजवाब रचना सुषमा जी...हार्दिक बधाई।
ReplyDeleteआप सब का हृदय से आभार
ReplyDeleteआप सब का हृदय से आभार
ReplyDeleteबहुत ही भावपूर्ण और दिल को छूने वाली रचना।
ReplyDeleteहार्दिक बधाई सुषमा जी
बहुत ही भावपूर्ण और दिल को छूने वाली रचना।
ReplyDeleteहार्दिक बधाई सुषमा जी
हार्दिक बधाई सुन्दर रचना हेतु
ReplyDeleteबहुत भावात्मक रचना है...| मेरी बधाई...|
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteमर्मस्पर्शी रचना सुषमा जी ..बहुत बधाई !
ReplyDeleteBahut khub! Bahut bahut badhai.
ReplyDelete