इस धरा - गगन के प्राण वायु
हो रहे क्षण- क्षण कलुषित माँ
भर दो इसे स्नेह अमृत से
मुझमें ही बन ममता रूप
लौट आओ न शिवानी माँ ।।
चारों ओर बिखरे महिषासुर
तार - तार करने अस्मत को
शुम्भ - निशुम्भ बढ़ते प्रतिपल
मुझमें ही बन काल रूप
लौट आओ न काली माँ ।।
अशिक्षा और अज्ञान का
है फैला यूँ साम्राज्य यहाँ
मिटा सकूँ जग की अविद्या
मुझमें ही बन विधा रूप
लौट आओ न शारदा माँ ।।
लोभ - लालच का दैत्य बड़ा
करता घोर अनाचार यहाँ
दरिद्रता अग्नि से धरा बचाने
मुझमें ही बन श्री लक्ष्मी रूप
लौट आओ न लक्ष्मी माँ ।।
पापियों का जुल्म बहुत
फैला है तेरे इस जगत में
दुष्टों के छल - बल को हरने
बन चंडी रूप मुझमें ही
आ लौट आओ न दुर्गा माँ ।।
बच्चों का उद्धार करने
सृष्टि का विस्तार करने
भक्ति का संचार करने
अब लौट आओ न मेरी माँ
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वाह, बहुत सुंदर रचना !!
ReplyDeleteआपका दिल से शुक्रिया अनीता जी
Deleteविजयादशमी की हार्दिक शुभकामना
सुंदर प्रस्तुति
ReplyDeleteसादर धन्यवाद पूर्णिमा जी
Deleteविजयादशमी की हार्दिक शुभकानाएं
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (01-010-2017) को
ReplyDelete"जन-जन के राम" (चर्चा अंक 2744)
पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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विजयादशमी की
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
बहुत बहुत आभार आदरणीय सर ।
Deleteमेरी रचना को पसन्द करने के लिए ।हार्दिक धन्यवाद
विजयादशमी की हार्दिक शुभकामनाएं
दिल से धन्यवाद कम्बोज भैया जी मेरी रचना को स्थान देने के लिए।
ReplyDeleteसादर आभार
दिल से धन्यवाद कम्बोज भैया जी मेरी रचना को स्थान देने के लिए।
ReplyDeleteसादर आभार
हार्दिक बधाई सत्या जी, सुन्दर रचना हेतु।
ReplyDeleteधरा से अन्याय मिटाने के लिए देवी के अवतरित होने की कामना की सुन्दर कविता के लिये सत्य कीर्ति जी को हार्दिक बधाई ।
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteशानदार सृजन के लिए आत्मिक बधाई प्रिय सखी...जय माता दी
ReplyDeleteदेवी के अवतरित होने की कामना की सुन्दर कविता के लिये हार्दिक बधाई ।
ReplyDeleteसुन्दर रचना
ReplyDeleteसुन्दर रचना, बधाई सत्या जी.
ReplyDeleteबहुत सुंदर रचना...बधाई सुरंगमा जी।
ReplyDeleteबहुत सुंदर रचना...बधाई सत्या जी।
ReplyDeleteबहुत सुंदर रचना !!सत्य कीर्ति जी को हार्दिक बधाई ।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर आह्वान ....हार्दिक बधाई सत्या जी !
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रचना...हार्दिक बधाई...|
ReplyDeleteबहुत अच्छी रचना...मेरी बधाई...|
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