कविता – ज़िंदगी और मौसम
प्रियंका गुप्ता
बचपन में मैंने
सूरज से दोस्ती की;
जवानी में
चाँदनी रातें मुझे लुभाती रही,
आधी ज़िन्दगी गुज़र गई
मैंने बर्फ़ पड़ते नहीं देखी;
अब
उम्र के इस मोड़ पर
रिश्तों पर पड़ी बर्फ़
पिघलाने के लिए
मुझे फिर
सूरज का इंतज़ार है ।
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बहुत सुन्दर मनोभाव
ReplyDeleteउत्तम चिन्तन से परिपूर्ण सुंदर कविता
ReplyDeleteBahut sundar bhav hain meri shubhkamnayen...
ReplyDeleteबहुत सुन्दर भावपूर्ण रचना !
ReplyDeleteमार्मिक!!
ReplyDelete'फिर सूरज का इंतज़ार है'|सुंदर भाव
ReplyDeleteपुष्पा मेहरा
कोमल भाव की बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति |
ReplyDeleteप्रियंका गुप्ता जी जीवन के तीन रंगों का सुन्दर भाव पूर्ण वर्णन ,बचपन जवानी बुढ़ापा । कम शब्दों मे बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति कर दी है आपने जिन्दगी को मौसम के साथ जोड़कर ।
ReplyDeleteबहुत सुंदर भावपूर्ण रचना।
ReplyDeleteबहुत सुंदर
ReplyDeleteसूरज, चाँदनी, बर्फ़ प्रतीकों से गहन क्षणिका बनी है।
ReplyDeleteआप सभी का दिल से आभार...|
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