भगत सिंह- श्वेता राय
मेघ बन कर छा गये जो, वक्त के अंगार पे।
रख दिए थे शीश अपने, मौत की तलवार पे।।
वायु शीतल,तज गये जो, लू -थपेड़ो में घिरे।
आज भी नव चेतना बन, वो नज़र मैं हैं तिरे।।
मुक्ति से था प्रेम उनको, बेड़ियाँ चुभती रहीं।
चाल उनकी देख सदियाँ, हैं यहाँ झुकती रहीं।।
मृत्यु से अभिसार उनका, लोभ जीवन तज गया।
आज भी जो गीत बनकर, हर अधर पर सज गया।।
चाल उनकी देख सदियाँ, हैं यहाँ झुकती रहीं।।
मृत्यु से अभिसार उनका, लोभ जीवन तज गया।
आज भी जो गीत बनकर, हर अधर पर सज गया।।
तेज उनका था अनोखा, मुक्ति जीवन सार था।
इस धरा से उस गगन तक, गूँजता हुंकार था।।
छू सका कोई कहाँ पर, चढ़ गए जो वो शिखर।
आज भी इतिहास में वो, बन चमकते हैं प्रखर।।
इस धरा से उस गगन तक, गूँजता हुंकार था।।
छू सका कोई कहाँ पर, चढ़ गए जो वो शिखर।
आज भी इतिहास में वो, बन चमकते हैं प्रखर।।
आज हम आज़ाद फिरते, उस लहू की धार से।
चूमते थे जो धरा को, माँ समझ कर प्यार से।।
क्या करूँ ,कैसे करूँ मैं, छू सकूँ उनके चरण।
देश हित बढ़ कर हृदय से, मृत्यु का कर लूँ वरण।।
चूमते थे जो धरा को, माँ समझ कर प्यार से।।
क्या करूँ ,कैसे करूँ मैं, छू सकूँ उनके चरण।
देश हित बढ़ कर हृदय से, मृत्यु का कर लूँ वरण।।
कर रही उनको नमन...
खिल रहा उनसे चमन..
छू सकूँ उनके चरण..
खिल रहा उनसे चमन..
छू सकूँ उनके चरण..
-0-【 शहीद भगत सिंह को नमन】
-0-
जब तक जल है -गिरीश पंकज
जब तक जल है
सब हलचल है
सब हलचल है
बिन जल के तो
सब निष्फल है
सब निष्फल है
जल वो ही जल
जो निर्मल है
जो निर्मल है
जल बिन सूना
पल-प्रतिपल है
पल-प्रतिपल है
जल है तो फिर
भीतर बल है
भीतर बल है
ओम चैतन्यशर्मा( सत्या शर्मा जी के पुत्र) |
नदी बचे तो
सबका कल है
सबका कल है
बूँद -बूँद से
जल का हल है
जल का हल है
जल से पंकज
खिला कमल है
खिला कमल है
-0-
आभार. श्वेता राय की कविता अर्थपूर्ण है।
ReplyDeleteशहीद भगत सिंह को श्रद्धा सुमन अर्पित करती इस ओजपूर्ण कविता के लिए आपको बहुत बधाई श्वेता जी...|
ReplyDeleteगिरीश जी, बहुत सार्थक रचना...मेरी बधाई...|
रचनाकार द्वय की सार्थक एवं सारगर्भित रचनाओं हेतु बधाई एवं शुभकामनायें
ReplyDeleteवैचारिक क्रांति के पुरोधा शहीद भगत सिंह को हार्दिक नमन |श्वेता राय के सार्थक सृजन पर उन्हें कोटिशः साधुवाद | सत्ताओं की दृष्टि में तो आज भी ऐसे शहीद आतंकवादी हैं | संतोष बस इतना है कि जनमानस में उन्हें पवित्र स्थान प्राप्त है |
ReplyDeleteश्वेता जी, Bahaut khub...Naman
ReplyDeleteRes.Pankaj ji...Reality.....Sunder Srijan
श्वेता जी की सार्थक लेखनी को नमन बहुत ही उम्दा रचना
ReplyDeleteबहुत ही सार्थक और सुंदर रचना गिरीश पंकज जी की
ReplyDeleteओम चैतन्य जी की पेंटिंग प्रकाशित करने के लिए सदर आभार
ReplyDeleteओम चैतन्य जी की पेंटिंग प्रकाशित करने के लिए सदर आभार
ReplyDeleteश्वेता जी की सार्थक लेखनी को नमन बहुत ही उम्दा रचना
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteश्वेता राय जी की लेखनी को नमन। सार्थक और उम्दा रचना के लिए हार्दिक बधाई
ReplyDeleteश्वेता जी ओजपूर्ण रचना ..जय हिंद
ReplyDeleteपंकज जी सार्थक और सन्देश देती रचना बहुत सुंदर हार्दिक बधाई
ReplyDeleteबहुत ओजपूर्ण रचना श्वेता जी ..माँ भारती के अमर पुत्रों को नमन ..जय हिन्द !
ReplyDeleteसुन्दर ,सार्थक , सामयिक रचना आ गिरीश पंकज जी ..दोनों रचनाकारों को हार्दिक बधाई !!
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (26-03-2017) को
ReplyDelete"हथेली के बाहर एक दुनिया और भी है" (चर्चा अंक-2610)
पर भी होगी।
--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
सुन्दर प्रस्तुति
ReplyDeleteश्वेता जी ..आ पंकज जी दोनों रचनाकारों को ओजपूर्ण रचना के लिए
ReplyDeleteहार्दिक बधाई!!
बहुत सुन्दर सार्थक रचनायें
ReplyDeleteश्वेता जी ... बहुत ख़ूब! नमन भारत माँ के वीर सपूतों को !
ReplyDeleteआदरणीय गिरीश पंकज जी ... सुंदर एवं सार्थक रचना !
आप दोनों को हार्दिक बधाई !!!
~सादर
अनिता ललित
बहुत ही सुन्दर एवं सार्थक रचनाओं के लिए श्वेता जी और पंकज जी को बहुत बहुत बधाई ।
ReplyDeleteबहुत सुंदर सारगर्भित रचनाओं के लिए श्वेता जी तथा पंकज जी को बधाई।
ReplyDeleteजल है तो कल है- सटीक बात।
ReplyDelete