फिर फिर याद आती वो
गाँव की होली
कमला निखुर्पा
फगुनाई सी भोर नवेली
अलसाई सी दुपहरिया ।
साँझ सलोनी सुरमई -सी
होली के रंग रँगी रतियाँ ।
सखियाँ के संग हँसी-ठिठोली
भुला नहीं पाती वो होली।
चुपके से पीछे से आकर
भर-भर हाथ गुलाल लगाती।
सिंदूरी टीका माथे पर
हँसी अबीरी बिखरा जाती।
हठीली ननद भाभी अलबेली भुला नही पाती वो होली।
जलता अलाव खुले आँगन में
साँझ ढले सब मिलजुल गाते
होली के गीतों के धुन में
मथुरा-गोकुल की सैर कराते।
घुंघुरू सी बजती गाँव की
बोली ।
भुला नहीं पाती वो होली ।
ढोलक चंग ढप की थाप पे
ताल बेताल नाचे हुरियार
इंद्रधनुषी परिधान हुए हैं
मुखड़े पे रंगों की बहार ।
झूमे हुरियारों की टोली
भुला नहीं पाती वो होली ।
साड़ी पहन घूँघट में आए।
स्वांग बने काका शर्माए।
रंगों की बौछार में भीगे
ठुमका लगा कमर मटकाए।
देती ताली काकी भोली
भुला नहीं पाती वो होली ।
जाने जहाँ खोई वो होली ।
बहुत याद आती वो होली ।
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फागुन की मनभावन कविता के लिये कमला जी बहुत बधाई ।होली की मुबारकबाद ।
ReplyDeleteसनेह विभाओ
खूबसूरत !!Kamla ji.Congratez
ReplyDeleteहोली के रंगों संग रची बसी मनभावन सरल रचना हेतु बधाई |
ReplyDeleteसरल सी रचना को मिले स्नेह के लिए आभार | आप सभी को रंगोत्सव की बहुत-बहुत शुभकामनाएं
ReplyDeleteबहुत सुंदर रचना,कमला बहिन को हार्दिक बधाई
ReplyDeleteहोली की भी सहज साहित्य परिवार को शुभ कामनाएं
Behad khubsurat kavita
ReplyDeleteजाने जहाँ खोई वो होली ।
ReplyDeleteबहुत याद आती वो होली । सचमुच बहुत याद आती वो होली | बधाई सुंदर रचना के लिए |
शशि पाधा
कमला चित्र और रचनाएँ दोनों ही बहुत खूबसूरत हार्दिक बधाई आपको
ReplyDeleteहोली की हार्दिक शुभकामनाएँ ।
वाह !! होली के रंग तो हैं ही खूबसूरत साथ में यादों के रंग और भी लाजवाब ।
ReplyDeleteढोलक चंग ढप की थाप पे
ताल बेताल नाचे हुरियार
इंद्रधनुषी परिधान हुए हैं
मुखड़े पे रंगों की बहार ।
झूमे हुरियारों की टोली
भुला नहीं पाती वो होली ।
बहुत अच्छी पंक्तियां।
बधाई कमला जी
रंग भरी मीठी यादों से बुनी बहुत खूबसूरत रचना.....होली की ढेरों शुभकामनाएँ कमला जी।
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा आज मंगलवार (14-03-2017) को
ReplyDelete"मचा है चारों ओर धमाल" (चर्चा अंक-2605)
पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
धन्यवाद महोदय
Deleteसभी स्नेही मित्रों का हार्दिक आभार
ReplyDeleteपरम स्नेही काम्बोज भाई का धन्यवाद जिनकी वजह से आप सबका स्नेह मिला
सभी स्नेही मित्रों का हार्दिक आभार
ReplyDeleteपरम स्नेही काम्बोज भाई का धन्यवाद जिनकी वजह से आप सबका स्नेह मिला
बहुत सुंदर कविता! सचमुच! बचपन की होली तो भुलाए नहीं भूलती !
ReplyDeleteहार्दिक बधाई कमला जी !!!
~सादर
अनिता ललित
बहुत खूबसूरत रचना.....सचमुच बहुत याद आती वो होली !@!!
ReplyDeleteढेरों शुभकामनाएँ कमला जी!!!
वाह वाह...कितनी यादें आ गई वापस...बहुत बधाई इस मनोहारी रंग बिरंगी रचना के लिए...|
ReplyDeleteBahut khub likha hai meri badhai..
ReplyDeleteबहुत सरस ...खूब शुभकामनाएँ..बधाई !
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