1-जीवन-सरिता के कूल
डॉ योगेन्द्र नाथ शर्मा ‘अरुण’
जीवन-सरिता के कूल हैं
दो,
सुख हँसना है,दुःख
रोना है!
अहं मिले, तो माटी
मानो,
विनय मिले
तो सोना है!!
सुख आता, मुस्कान
सजाता,
दुःख आता, तो आँसू
लाए!
उद्गम से संगम तक जीवन,
दोनों के
संग चलता जाए!!
सुख में उड़ना,दुःख
में गिरना,
जीवन नियति - खिलौना
है!
अहं मिले, तो माटी
मानो,
विनय मिले
तो सोना है!!
जो भी पाया,बाँटे
नदिया,
खुद की प्यास वो कहाँ मिटाती!
धरती के
कण-कण को सींचे,
समृद्धि
के सदा सुमन खिलाती!!
जीवन तो है हर पल
देना,
तप कर
कुंदन होना है!
अहं मिले, तो माटी
मानो,
विनय मिले
तो सोना है!!
हम भी सरिता हो जाएँ तो,
जग की प्यास बुझा पाएँगे!
जीवन के उपवन में तब ही,
सुन्दर
सुमन उगा पाएँगे!!
जीवन है क्षण भंगुर
पगले!
इक दिन इसको खोना है!
अहं मिले, तो माटी
मानो,
विनय मिले
तो सोना है!!
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डॉ योगेन्द्र नाथ
शर्मा ‘अरुण’
पूर्व प्राचार्य,
74/3,न्यू
नेहरू नगर,
रूड़की-247667
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डॉ.पूर्णिमा राय
भरोसा
1
भरोसा मुझे
गिरने नहीं देंगी
बाँहें पिता की!!
हवा से बातें
करने लगी मुन्नी
खिलखिलाती!!
2
सपनों में जान
आत्मविश्वास दिखे
अंतर्मन में !!
मंजिल पास
हो जाती है दूर
टूटे भरोसा!!
3
नग चमके
ककड़ी- सी उंगली
खिली किस्मत!!
खोया नगीना
अंध भ्रमजाल से
चिन्तित मन!!
4
मकड़ी आस
दिखाती आत्मबल
श्रम में चूर!!
नशे में धुत्
युवा लड़खड़ाते
आलस्य में!!
5
उदीप्त भाग्य
सिरमौर बना वे
जीते मन को!!
चिन्ता की चक्की
भँवर समुद्र का
पिसे भरोसा !!
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यही रचना सुने
-----यूट्यब लिंक----
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रचनाकार द्वय को बधाई, सुन्दर रचनाओं के लिए
ReplyDeleteरचनाकार द्वय को बधाई, सुन्दर रचनाओं के लिए
ReplyDeletesundar rachnaye :) holi ki hardik badhayi :)
ReplyDeleteसुन्दर कविता....
ReplyDeleteMere blog ki new post par aapka swagat hai.
बहुत सुंदर सार्थक रचनाओं के लिए आप दोनों को हार्दिक बधाई
ReplyDeleteDr yogender ji ..bahut sunder kavita...congrates
ReplyDeleteMeri Rachna Like karne ke liye Sabhi ka Hardik Thanks..
ReplyDelete.Respected Sir...ThaNks Apne Yha place di....
सुंदर ,सार्थक रचनाओं केलिए दोनों रचनाकारों को बधाई।
ReplyDeleteयोगेन्द्र जी जीवन सरिता के कूल ,बहुत सुन्दर लगे ।पूर्णिमा जी आप की छोटी कवितायें भी खूबसूरत हैं और उन्हें जो यू ट्यूब पर मधुर आवाज में डाला वह भी सुनी , कर्णप्रिय आवाज है । भरोसा की यह पंक्ति बहुत भाई - चिन्ता की चक्की / भँवर समुंदर का पिसे भरोसा ।
ReplyDeleteआपकी एक बार छंद परिचय के साथ यहां कुछ रचनायें छपी थी ।अन्य छंदो की परिभाषा का उसी तरह परिचय और रचना डाले तो कुछ छंदों की और जानकारी पा कर खुशी होगी ।
अहं मिले, तो माटी मानो,
ReplyDeleteविनय मिले तो सोना है!!
बहुत सुंदर सृजन अरुण जी।
पूर्णिमा जी सुंदर सेदोक हुए हैं
ReplyDeleteचिन्ता की चक्की
भँवर समुद्र का
पिसे भरोसा !! वाह!!!
आदरणीय योगेंद्र जी की रचना बहुत ही सुंदर व सार्थक। सादर नमन।
ReplyDeleteपूर्णिमा जी सुंदर सृजन के लिए बधाई।
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ReplyDeleteअहं मिले, तो माटी मानो
ReplyDeleteविनय मिले तो सोना है ~ वाह! क्या ख़ूब कहा है! जीवन का सार दर्शा दिया इन्हीं पँक्तियों में!
हार्दिक बधाई आ. योगेन्द्र नाथ जी!!!
पूर्णिमा जी , आपकी कविताएँ भी बहुत सुंदर एवं भावपूर्ण हैं!
हार्दिक बधाई आपको!!!
~सादर
अनिता ललित
आ. योगेन्द्र नाथ जी...पूर्णिमा जी बहुत सुंदर...भावपूर्ण सृजन
ReplyDeleteदोनों रचनाकारों को हार्दिक बधाई!!!
बहुत सारपूर्ण रचना योगेन्द्र नाथ जी बधाई।
ReplyDeleteभावपूर्ण सेदोका के लिए बधाई पूर्णिमा जी।
सार्थक सदोका पूर्णिमा जी , योगेन्द्र नाथ जी की बहुत सुन्दर कविता । दोनों को बधाई ।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रचनाएं , हार्दिक बधाई !
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