1-डॉ.भावना
कुँअर
1
लेकर वे फिरते रहे ,दोनों हाथों पीर।
हमने खुद ही माँग ली, बनकर मस्त फकीर।
2
अगर- मगर तुम जो करो,रखना इतना ध्यान
देना ना धोखा कभी, जाए चाहे जान।
3
मनवा मेरा हो रहा, पल -पल आज अधीर
होगा जो पल का मिलन,मिट जाएगी पीर।
4
मैं-मैं करता फिर रहा,बनके तू अनजान
जप ले दो पल राम को,ले जीवन का ज्ञान।
5
तू तो माया में पड़ा,भूला है सब काज
भक्ति करो उस राम की ,सुधरे कल औ आज।
6
प्रेम नदी है आग की , खेल न उल्टे खेल।
बाहर या भीतर रहे,हो जाएगा फेल।
7
विहग बनाए घोंसला,कुछ तो उससे सीख
हौंसला कर ले बुलंद,माँगे है क्यूँ भीख?
8
खालीपन कैसे भरूँ, करूँ कौन उपचार
कल तक मेरा जो रहा,आज पराया प्यार।
9
पीर भरा दरिया मिला,हो ना पाता पार
जाने कितने कर लिये,नये-नये उपचार।
10
काहे बैठे हो पिया,हमसे इतनी दूर
किसने डाली बेड़ियाँ, क्यों इतने मज़बूर?
11
मन पंछी उड़ ही चला,आज पिया के गाँव
आँचल में भर ली सभी,मधुर प्रेम की छाँव।
12
जो तुम लेकर चल पड़े, प्रेम पगी पतवार ।
करना होगा पार भी,भले तेज़ हो धार॥
-0-
2-ताबीज़--ज्योत्स्ना प्रदीप
उसनें खरीद लिया था
एक तावीज़ की तरह उसको
एक धागे के साथ
गले में बाँधे
भी रक्खा
कुछ समय
पर.....
कुछ मुरादें
पूरी होनें के बाद
सजा दिया
किसी कमरे के आले में
उसी एक धागे
के साथ!!!
-0-
3-रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु'
1
जिनको भुला न पाते हैं
वे जनमों के नाते हैं
ख़ुद को हम भूलें पलभर
उनको गले लगाते हैं।
-0-
सभी रचनाएँ बेहतरीन हैं। विभिन्न भावों को व्यक्त करती हुई इन रचनाओं के लिए डॉ.भावना कुँअर , ज्योत्स्ना प्रदीप जी और काम्बोज जी को हार्दिक बधाई ! - सुभाष चंद्र लखेड़ा
ReplyDeleteबहुत सुंदर दोहे व रचनाएँ | पुष्पा मेहरा
ReplyDeleteबहुत सुंदर दोहे भावना जी
ReplyDeleteज्योत्स्ना जी अति सुंदर रचना
भैया जी बहुत सुन्दर मुक्तक
मन पंछी उड़ ही चला,आज पिया के गाँव
ReplyDeleteआँचल में भर ली सभी,मधुर प्रेम की छाँव।
भावना जी के दोहे बहुत प्यारे हैं । बधाई ।
ज्योत्सना जी की कविता ताबीज़ बहुत सार्थक । बधाई ।
आ . काम्बोज भाई की भावुक चार पंक्तियाँ बहुत सुंदर हैं ।बधाई भाई जी ।
सनेह विभा रश्मि
मन पंछी उड़ ही चला,आज पिया के गाँव
ReplyDeleteआँचल में भर ली सभी,मधुर प्रेम की छाँव।
भावना जी के दोहे बहुत प्यारे हैं । बधाई ।
ज्योत्सना जी की कविता ताबीज़ बहुत सार्थक । बधाई ।
आ . काम्बोज भाई की भावुक चार पंक्तियाँ बहुत सुंदर हैं ।बधाई भाई जी ।
सनेह विभा रश्मि
Dr. Bhavna ji, jyotsna ji evam aadarneey kamboj mahoday ki rachnayen sundar evam sargarbhit, badhayi evam shubhkamnayen
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteबहुत सुन्दर सारगर्भित दोहे, रचनाएँ। भावना कुअँर जी, ज्योत्स्ना प्रदीप जी, आ० काम्बोज जी को .....हार्दिक बधाई।
ReplyDeleteBhavna Ji jyotsna Ji aur aadarniy Bhai HIMANSHU ji it ram lekhan
ReplyDeleteSabdon aur bhavon ne man moh liya
Dr Bhavna ji
ReplyDeleteSunder Dohe
Doha no ..7
3rd charan
Buland krle honsla... suggestion...
Jyotsna ji
ReplyDeleteTaaviz ki haqiqat...Ek alag andaj...gud1
Dr Himanshu sir ji..
ReplyDeleteJanmon ke naatei... Reality of life
Sunder lines
अक्सर शब्द कितने गहरे तक असर डालते हैं, इसका अंदाजा ऐसी खूबसूरत और भावप्रवण पंक्तियाँ पढ़ कर बखूबी हो जाता है...| हार्दिक बधाई इन रचनाओं के लिए...|
ReplyDeleteबेहतरीन रचनाएँ !
ReplyDeleteसुन्दर सृजन सर्वदा ही मन को मोह लेता है ....सुकून देता है
भैया जी ,भावना जी को हार्दिक बधाई।!
हृदय से आभार आद .भैया जी का और आप सभी का !!
ReplyDeleteAap sabhi ka bahut bahut aabhar, jyotsna ji, kamboj ji aap dono ko bhi bahut bahut badhai bhavpurn sundar rachnaon ke liye...
ReplyDeleteबहुत ही बढ़िया article लिखा है आपने। ........Share करने के लिए धन्यवाद। :) :)
ReplyDeleteभावना जी सभी दोहे उत्तम लगे विशेषकर ७ और ८ |ज्योत्सना जी और भाई कम्बोज जी आप को भी सुन्दर सृजन पर हार्दिक बधाई |
ReplyDeleteबहुत भावपूर्ण रचनाएँ सभी !!
ReplyDeleteआदरणीय भैया जी ,भावना जी एवं ज्योत्स्ना जी को हार्दिक बधाई !!!
भावना जी बहुत उम्दा दोहे, ज्योत्स्ना दी सुंदर रचना ताबीज़।
ReplyDeleteअंकल जी प्यारा मुक्तक।