1-प्रमाणिका
छन्द
1-डॉ ज्योत्स्ना शर्मा
जगो कि भोर पास है
रहो नहीं निराश भी ।
उमंग संग ले , चलो
मिले तभी प्रकाश भी ।।
कभी थमी नहीं ,बही ,
कि सिन्धु बाँह तो गहे
चली पहाड़ ,पत्थरों ;
सुनो व्यथा नदी कहे !
न पंथ शूलहीन ही,
सुदूर लक्ष्य ज्ञात है
प्रभूत पीर पा चली ;
तपे दिनेश ,रात है !
तपी ,कि क्षीण हो गई,
चली ,कहीं रुकी नहीं
करे निनाद , आँधियाँ -
डरा रहीं ,झुकी नहीं !
सप्रेम कूल सींचती,
तृषा कहीं न शेष हो
खिले कली ,तरे तरी ;
विराग हो न द्वेष हो !
कभी ,कपोल कल्पना-
हरीतिमा दुलारती ।
शनै:-शनै: पली ,बढ़ी
प्रसन्नता पुकारती ।।
समेट धूप हाथ में
चलूँ बिसार ताप को
मिटी ,मिली समुद्र में
मिलूँ, कि लौट आपको ।।
उमंग से भरे मिले
दिनेश देख ,लो जला
विदेह ,देह धारती
बना घटा, बढ़ा चला ।।
दुआ ,कि जिंदगी रहे
सदैव ही महीप- सी
कभी घना अँधेर हो
जलूँ सदा सुदीप सी ।
बढ़े चलो रुको नहीं
यही सुदीप बाल के
उजास बाँटती रही
गए न नेह डाल के ।।
-0-
विजात छंद
डॉ.पूर्णिमा राय,अमृतसर।
नज़र का प्यार पढ़ लेना।
सुनो दिलदार पढ़ लेना।।
लुटाती प्रेम हैं पवनें;
किया शृंगार पढ़ लेना।।
सुगंधित फूल उपवन में;
खिले हैं यार पढ़ लेना।।
कसक दिखती जगत में अब;
भरी अख़बार पढ़ लेना।।
सुहानी रात का आँचल;
छिपा दीदार पढ़ लेना।।
घिरी काली घटाओं में;
हवा का वार पढ़ लेना।।
छिपाकर हम करेंगे क्या;
कभी किरदार पढ़ लेना।।
पुकारे ‘पूर्णिमा’
तम को ;
गगन ललकार पढ़ लेना।।
-0-
ज्योत्स्नाजी प्रेरित करता प्रमाणिका छंद। बहुत सुंदर।बधाई
ReplyDeleteआदरणीया ज्योत्स्ना जी आप सच में बड़ी विदुषी हैं, मुश्किल छंद में भी इतना बढ़िया सृजन, चकित कर दिया आपने, ढेर सारी बधाई।
ReplyDeleteपूर्णिमा जी बहुत सुंदर छंद रचा बधाई।
ReplyDeleteआभार अनिता जी...
Deleteकसक दिखती जगत में अब
ReplyDeleteभरी अख़बार पढ लेना । बहुत सुंदर पूर्णिमा जी। बधाई
आभार आ.सुदर्शन जी..
Deleteबहुत सुंदर भाव बाँधे आपने छंद में ..हार्दिक बधाई पूर्णिमा राय जी !
Deleteमेरी रचना पर सहृदय उपस्थिति के लिए आ . सुदर्शन रत्नाकर दीदी एवं प्रिय अनिता को बहुत-बहुत आभार 💐🙏💐
आ ज्योत्सना जी बहुत सुंदर छंद...बधाई
ReplyDeleteहृदय से धन्यवाद आपका 💐🙏💐
Deleteबहुत सुंदरता से आपने प्रमाणिक छंद व पूर्णिमा जी ने विजात छंद में खूबसूरत रचना की है । आप दोनों को बहुत बधाई । दीपावली की शुभकामनाएँ लें ।
ReplyDeleteविभा रश्मि
आभार आ.विभा जी
Deleteआभार आ.विभा जी
Deleteबहुत सुंदरता से आपने प्रमाणिक छंद व पूर्णिमा जी ने विजात छंद में खूबसूरत रचना की है । आप दोनों को बहुत बधाई । दीपावली की शुभकामनाएँ लें ।
ReplyDeleteविभा रश्मि
आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि- आपकी इस प्रविष्टि के लिंक की चर्चा कल शनिवार (29-10-2016) के चर्चा मंच "हर्ष का त्यौहार है दीपावली" {चर्चा अंक- 2510} पर भी होगी!
ReplyDeleteदीपावली से जुड़े पंच पर्वों की
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
हार्दिक आभार आ.रूपचंद्र शास्त्री जी....
Deleteदीपावली मुबारक...आपको !!
प्रमाणिक तथा विजात छंद की बहुत बढिया रचना। ज्योत्स्ना जी, पूर्णिमा जी आप दोनों को बहुत बधाई!
ReplyDeleteआभार कृष्णा जी...
Deleteबढ़िया रचनाएँ दोनों
ReplyDeleteबढ़िया रचनाएँ
ReplyDeleteज्योत्स्ना जी , पूर्णिमा जी बहुत सुंदर छंद !!! एक से बढ़कर एक !!!
ReplyDeleteज्योत्स्ना जी, पूर्णिमा जी आप दोनों को बहुत बधाई।
ज्योत्स्ना जी पूर्णिमा जी बहुत सुंदर भावपूर्ण छंद
ReplyDeleteआप सभी सुधीजनों का हृदय से आभार !
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रचनाएँ...हार्दिक बधाई...|
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