1-शृंगार छंद
डॉ ज्योत्स्ना शर्मा
झूमती गाती आई भोर
दिवस लो होने लगा किशोर
थिरकते पुरवाई के पाँव
तृप्त हों तृष्णाओं के
गाँव ।।
मिले जब मन से मन का मीत
मौन में मुखरित हो संगीत
अधर पर सजे मधुर मुस्कान
हुई फिर खुशियों से पहचान
।।
जले जब नयनों के दो दीप
लगी फिर मंज़िल बहुत समीप
अँधेरों ने भी मानी हार
किया है स्वप्नों का शृंगार
।।
थामकर हम हाथों में हाथ
चलेंगे जनम-जनम तक साथ
राह में मिलने तो हैं
मोड़
कहीं मत जाना मुझको छोड़
।।
-0-
2-अनिता मण्डा
मैंने चाँद तारे लिखे
आसमान जगमगा उठा
मैंने सूरज लिखा
क़ायनात रोशन हो गई
मैंने फूल लिखा
हवा में ख़ुश्बू बिखर गई
मैंने तुम्हारी खुशियाँ
लिखी
हर दिशा उल्लास से भर
गई
मैंने खुद को लिखा तो
फिर क्यों मन में वेदना
समा गई ?
-0-
3- शिव डोयले
उसने सम्बन्धों को
इस तरह
भुला दिया ।
जैसे
यात्रा के दौरान
नदी में सिक्का
डाल दिया ।
-0-
मैंने चाँद तारे लिखे ....बेहद ख़ूबसूरत रचना अनिता मण्डा जी ..हार्दिक बधाई !
ReplyDeleteबहुत भावपूर्ण रचना शिव डोयले जी बहुत बधाई !!
मेरी रचनाओं को स्नेह और सम्मान देने के लिए आदरणीय काम्बोज भाई जी का बहुत-बहुत आभार !
सादर
ज्योत्स्ना शर्मा
ज्योत्सना जी श्रृंगार छंद बहुत खूबसूरत लगा । अनिता जी आपने सारी सृष्टि में सब लिख लिया सब सुन्दर सुन्दर वेदना तो हर युग में नारी के हिस्से आती है । शिव डोले क्या खूब कल्पना की ? सम्बंधो को इस तरह भुला दिया.... नदी में सिक्का डाल दिया । वाह वाह ।सब को सुन्दर रचना केलिये बधाई ।
ReplyDeleteवाह वाह ।बहुत खूब लगी । सब को बधाई ।
ज्योत्स्नाजी बहुत सुंदर श्रंगार छंद। बधाई
ReplyDeleteमैंने ख़ुद को लिखा तो, क्यो मन में वेदना समा गई। वाह!अनिता
शिव डोयले जी बहुत सुंदर भावपूर्ण रचना।
joyoti kalash mey doctar jyotsana Sharma , Shiv Doyle, aur Anil Manda ki rchnaaen padhkr man bhut prasaan huaa. Kavitaoon mey Kawaya ki pratibha hai, schchaaee hai aur ek nirmal pawitrta hai. Padhne ko padhte -padhte yahi dil kahta ki bas padhte hi raho. Shiam Tripathi-Hindi Chetna
ReplyDeleteवाह! एक से बढ़ कर एक भावपूर्ण रचनाएँ.....ज्योत्स्ना शर्मा जी, अनीता मण्डा जी तथा शिव डोयले जी बहुत बधाई आप सभी को!
ReplyDeleteज्योत्स्ना जी बहुत सुंदर रचना
ReplyDeleteसार्थक रचना आदरणीय शिव जी
अनिता जी वाहह्ह्ह्ह्
आप सबको हार्दिक बधाई ..सभी रचनाएँ भावपूर्ण
सभी रचनाएँ बहुत सुंदर !
ReplyDeleteज्योत्स्ना जी...'थाम कर हम हाथों में हाथ...'--बहुत प्यारा !
अनिता जी... 'मैंने ख़ुद को लिखा तो ...'--लाजवाब !
आ. शिव जी ... निःशब्द करती पंक्तियाँ !
आप सभी को इस सुंदर सृजन हेतु हार्दिक बधाई !!!
~सादर
अनिता ललित
सभी रचनाएँ बहुत ही सुंदर हैं,ज्योत्स्ना ,अनिता व शिव जी को बधाई |
ReplyDeleteपुष्पा मेहरा
आदरणीया ज्योत्स्ना जी, आदरणीय शिव जी बहुत सुंदर सृजन की बधाई।
ReplyDeleteमेरी रचना को यहाँ स्थान व स्नेह के लिए बहुत बहुत आभार।
आदरणीय ज्योत्स्ना जी, अनीता जी एवं आदरणीय शिव जी की रचनाएँ अति सुन्दर
ReplyDeleteसुन्दर रचनाएँ
ReplyDeleteइस स्नेह ,सत्कार भरे प्रोत्साहन के लिए आप सभी का बहुत-बहुत आभार !
ReplyDeleteसादर
ज्योत्स्ना शर्मा
ज्योत्स्ना जी, बहुत अच्छे लगे ये छंद...|
ReplyDeleteअनीता, ज़िंदगी का कड़वा सच है ये...|
शिव जी, बहुत खूबसूरत रचना...|
आप तीनों को मेरी हार्दिक बधाई...|