सुनीता
शर्मा,गाजियाबाद
राम कौन
रावण कौन
हर युग का
खलनायक कौन
सीता तो हर युग में
पूजी गई ...छली गई
फिर दिखावा
छलावा मन का
मन भर, बेमन से
ये रामलीलाएँ
ये पीढ़ी दर पीढ़ी
शक्ति का प्रदर्शन क्यों
राम कौन
रावण कौन
हर युग का
खलनायक कौन
सीता तो हर युग में
पूजी गई ...छली गई
फिर दिखावा
छलावा मन का
मन भर, बेमन से
ये रामलीलाएँ
ये पीढ़ी दर पीढ़ी
शक्ति का प्रदर्शन क्यों
नफ़रतों के दिए
जब हर घर में जलाते हैं
रावण और राम तो
संदेशवाहक थे
नारी सम्मान-अपमान के
पर आज के युग में
हर घर में आज भी ज़िंदा है
रामचरितमानस का
हरेक किरदार।
-0-
जब हर घर में जलाते हैं
रावण और राम तो
संदेशवाहक थे
नारी सम्मान-अपमान के
पर आज के युग में
हर घर में आज भी ज़िंदा है
रामचरितमानस का
हरेक किरदार।
-0-
सुनीता जी बहुत सुंदर रचना
ReplyDeleteसुन्दर प्रस्तुति
ReplyDeleteसुंदर रचना; सुन्दर प्रस्तुति !
ReplyDeleteयथार्थ एवं सामयिक...
ReplyDeleteवाह बहुत ही सुन्दर और सार्थक रचना
ReplyDeleteसुनीता जी... सुन्दर एवं सामयिक.. प्रस्तुति !
ReplyDeleteबहुत अच्छे भाव
ReplyDeleteसत्य को दर्शाती कविता ... बहुत सुंदर !
ReplyDeleteहार्दिक बधाई सुनीता शर्मा जी !!!
~सादर
अनिता ललित
सुन्दर और सार्थक रचना... बधाई सुनीता जी !
ReplyDeleteसुंदर
ReplyDeleteबहुत सच्ची बात कह दी है आपने...बहुत बधाई...|
ReplyDeleteसुन्दर प्रस्तुति ..हार्दिक बधाई सुनीता शर्मा जी !
ReplyDeleteबहुत गहरे विचारों से गुंथी गई कविता आज का यथार्थ दर्शाती है । रावण का पुतला जलाना तो परम्परा बन कर रह गया है । बात तो तब बने जब हम अपने अंदर के रावण को जलायें , मारे ।पर नहीं , हम राम लीला तो कर सकते हैं राम नहीं बन सकते ।बधाई सुनीता शर्मा जी इस सुन्दर रचना के लिये ।
ReplyDeleteसुनीता जी सुन्दर भावों से पूर्ण रचना है आज भी हर जगह राम भी हैं और रावण भी आज भी सीता असुरक्षित हैं ।आपको इस सृजन पर हार्दिक बधाई ।
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