पथ के साथी

Tuesday, October 11, 2016

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सुनीता शर्मा,गाजियाबाद

राम कौन
रावण कौन
हर युग का
खलनायक कौन
सीता तो हर युग में
पूजी ग ...छली ग
फिर दिखावा
छलावा मन का
मन भर, बेमन से
ये रामलीलाएँ
ये पीढ़ी दर पीढ़ी
शक्ति का प्रदर्शन क्यों
रतों के दिए
जब हर घर में जलाते हैं
रावण और राम तो
संदेशवाहक थे
नारी सम्मान-अपमान के
पर आज के युग में
हर घर में आज भी ज़िंदा है
रामचरितमानस का
हरेक किरदार
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14 comments:

  1. सुनीता जी बहुत सुंदर रचना

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  2. सुन्दर प्रस्तुति

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  3. सुंदर रचना; सुन्दर प्रस्तुति !

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  4. यथार्थ एवं सामयिक...

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  5. वाह बहुत ही सुन्दर और सार्थक रचना

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  6. सुनीता जी... सुन्दर एवं सामयिक.. प्रस्तुति !

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  7. बहुत अच्छे भाव

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  8. सत्य को दर्शाती कविता ... बहुत सुंदर !
    हार्दिक बधाई सुनीता शर्मा जी !!!

    ~सादर
    अनिता ललित

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  9. सुन्दर और सार्थक रचना... बधाई सुनीता जी !

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  10. बहुत सच्ची बात कह दी है आपने...बहुत बधाई...|

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  11. सुन्दर प्रस्तुति ..हार्दिक बधाई सुनीता शर्मा जी !

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  12. बहुत गहरे विचारों से गुंथी गई कविता आज का यथार्थ दर्शाती है । रावण का पुतला जलाना तो परम्परा बन कर रह गया है । बात तो तब बने जब हम अपने अंदर के रावण को जलायें , मारे ।पर नहीं , हम राम लीला तो कर सकते हैं राम नहीं बन सकते ।बधाई सुनीता शर्मा जी इस सुन्दर रचना के लिये ।

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  13. सुनीता जी सुन्दर भावों से पूर्ण रचना है आज भी हर जगह राम भी हैं और रावण भी आज भी सीता असुरक्षित हैं ।आपको इस सृजन पर हार्दिक बधाई ।

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