सुनीता काम्बोज |
भाई-
सुनीता काम्बोज
1
पिताजी की छवि दिखती वो
माँ का रूप लगता है
मेरा भैया -सा भाई तो
नसीबों से ही मिलता है
कभी लगता गुरु- सा वो, कभी मेरी सहेली सा
मेरी खुशियाँ रहे क़ायम,
दुआ वो रोज़ करता है
ये जिम्मेदारियाँ
सारी निभाता वो सदा घर की
है सारी ही उम्मीदों पर
,खरा हरदम उतरता है
तिलक तुझको लगा दूँ मैं
,आ तेरी आरती करके
निग़ाहों में मुझे उसकी सदा ही फ़र्ज़ दिखता है
सुनीता की दुआएँ हैं
उसे कोई न दुख आए
मुझे तो चैन मिल जाता ,वो
जब फूलों-सा हँसता है
2
तुझे ही
देखके लगता कि जैसे आ गया बचपन
कलाई पर तुम्हारी मैं
ये अपना प्यार बाँधूँगी
तू चमके चाँद -सूरज -सा
यही वरदान माँगूँगी
जिए जुग-जुग मेरा भैया
,मिले जग की सभी खुशियाँ
तेरे ग़म भी मुझे दे दे
मैं रब से ये ही बोलूँगी
नजर तुझको न लग
जाए लगा दूँ आँख का अंजन
तुझे ही देखके
लगता कि जैसे आ गया बचपन
मेरी आँखों का सूनापन
नही वो देख पाता है
मेरी आँखों में आँसू हो
तो खुद ही छटपटाता है
शरारत से अभी भी वो नही
यूँ बाज है आया
बड़ा होकर भी खुद को वो
सदा छोटा बताता है
बहन तेरी ये
कुमकुम- सी ये भाई है मेरा चन्दन
तुझे ही देखके
लगता कि जैसे आ गया बचपन
हो मन उसका अगर भारी,
पिता माँ से छिपाता है
किसी को भी नहीं कहता ,मुझे
आकर बताता है
सुनीता डाँट देती है तो मुँह अपना फुला लेता
अगर मैं रूठ जाती हूँ ,मुझे
अक्सर मनाता है
उसी की ही महक से
तो मेरा घर भी लगे उपवन
तुझे ही देखके
लगता कि जैसे आ गया बचपन
-0-
रक्षा बन्धन आ गया, बहना का ले प्यार।।
दिवस 'पूर्णिमा' कर सजे,रक्षाबंधन तार।
रक्षाबंधन तार, राखियाँ प्यारी चमके
शाश्वत केवल प्यार, बहन के मुख पे दमके।
राखी का उपहार ,मुझे यह दे दो भिक्षा
महके आँगन प्यार, बहन की हरदम रक्षा।।
*******************************
मनमोहक राखी चमक,फैली चारों ओर।
बहन-प्रेम के सामने,किसका चलता जोर।।
किसका चलता जोर,बदल गई मन भावना,
ये रेशम की डोर,फैलाये सद् भावना।।
देखें गर इतिहास ,मिला कर्मवती को हक
जागे मन विश्वास ,धर्म भाई मनमोहक।।
-0-
रक्षा-बन्धन
दिवस 'पूर्णिमा' कर सजे,रक्षाबंधन तार।
रक्षाबंधन तार, राखियाँ प्यारी चमके
शाश्वत केवल प्यार, बहन के मुख पे दमके।
राखी का उपहार ,मुझे यह दे दो भिक्षा
महके आँगन प्यार, बहन की हरदम रक्षा।।
*******************************
मनमोहक राखी चमक,फैली चारों ओर।
बहन-प्रेम के सामने,किसका चलता जोर।।
किसका चलता जोर,बदल गई मन भावना,
ये रेशम की डोर,फैलाये सद् भावना।।
देखें गर इतिहास ,मिला कर्मवती को हक
जागे मन विश्वास ,धर्म भाई मनमोहक।।
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प्यारी कविताएँ बहनों, सभी भाई-बहनों को रक्षा बंधन के पावन पर्व की हार्दिक बधाई
ReplyDeleteसभी भाई बहनों को रक्षाबन्धन की हार्दिक बधाई ..सादर आभार आदरणीय रामेश्वर भैया जी
ReplyDeleteमधुर-मधुर सी बहुत सुन्दर रचनाएँ ! बधाई सभी रचनाकारों को !!
ReplyDeleteपावन पर्व पर हार्दिक शुभ कामनाएँ !!
भाई बहन के प्यार की बहुत सुंदर कविताएँ । पूर्णिमाजी, सुनीताजी हार्दिक बधाई।
ReplyDeleteरक्षा बन्धन की बहुत बधाई. भाई बहन के रिश्ते होते ही हैं बहुत गहरे. भाई पर बहुत प्यारी प्यारी रचनाएँ. सुनीता जी और पूर्णिमा जी को बधाई.
ReplyDeleteलाजवाब सृजन सुनीता काम्बोज क्या कहने वाह वाह बधाई
ReplyDeleteपूर्णिमा जी बेहद खूब लिखा आपने बधाई
ReplyDeleteलाजवाब सृजन सुनीता काम्बोज क्या कहने वाह वाह बधाई
ReplyDelete.nice Didi very good i like it thanks for this
ReplyDeletemeri behna badi hai payri
hai vo dunia se nayri
बेहतरीन यथार्थ का अवलोकन करवाया..सुनीता जी...बधाई..
ReplyDeleteमेरी रचना पर स्नेहिल टिप्पणी देने हेतु सभी रचनाकारों का साभार...
ReplyDeleteमेरी ओर से सभी को पावन पर्व की हार्दिक बधाई....
रक्षा बंधन
असीमित नेह को
करे प्रकट!!
डॉ.पूर्णिमा राय
मेरी रचना पर स्नेहिल टिप्पणी देने हेतु सभी रचनाकारों का साभार...
ReplyDeleteमेरी ओर से सभी को पावन पर्व की हार्दिक बधाई....
रक्षा बंधन
असीमित नेह को
करे प्रकट!!
डॉ.पूर्णिमा राय
बेहतरीन यथार्थ का अवलोकन करवाया..सुनीता जी...बधाई..
ReplyDeleteBrilliant Production full of thought provoking ideas. Compounded with high order poetry . The poem by Purnima Rai is true reflection of a brother by a sister. Very well thought . Shiam Tripathi HindiChetna
ReplyDeleteआ.श्याम त्रिपाठी सर..नमस्कार।
Deleteआपकी प्रतिक्रिया से लेखन सफल हुआ।नव चेतना से लेखन अभिभूत हुआ।
आभार!!
सुंदर -सृजन .... बहुत प्यारी -प्यारी रचनाएँ ! पूर्णिमाजी, सुनीताजी हार्दिक बधाई ....शुभ कामनाएँ !!
ReplyDeleteआप सभी के इस अनमोल स्नेह और आशीर्वाद के लिए ह्रदय से आभार व्यक्त करती हूँ ....आप सबका स्नेह ऐसे ही बना रहे यही आशा है ..सभी को सादर नमन ..बहुत बहुत शुक्रिया आप सबका
ReplyDeletesabne bahut achha likha bahut bahut badhai...
ReplyDeleteज्योत्सना जी, डॉ.भावना जी ,सुनीता जी ,नमन सहित आभार
ReplyDeleteबहुत ही प्यारी रचनाएँ ! रक्षा-बन्धन की हार्दिक शुभकामनाएँ ! भाई-बहन का प्यार यूँ ही बना रहे!
ReplyDelete~सादर
अनिता ललित
भाई-बहन के मधुर प्रेम को दर्शाती दिल से निकली रचनाएँ हैं ये...| आप दोनों को बधाई और भाई-बहन के इस अनंत प्रेम के लिए बहुत शुभकामनाएँ...|
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