जीवन चिरंतन हो गया है
डॉ
योगेन्द्र नाथ शर्मा ‘अरुण’
जब से मिले हो तुम मुझे,
जीवन ये पावन हो गया है!
अँधियार
सारा मिट गया,
उजियार ही उजियार है!
नफरत मिटी मन से मेरे,
अपना-
सा अब संसार है!!
हर तरफ फैली हैं खुशियाँ,
जीवन तपोवन हो गया है!
उपकार से परिचय हुआ,
उपकृत मैं जैसे हो गया!
जब
सुख दिए संसार को,
मैं सुखी खुद हो गया!!
पतझर मिटा मन का मेरे,
जीवन ही सावन हो गया है!
वसुधा मेरी अपनी हुई,
विस्तार मुझको मिल
गया!
मृत्यु - भय मन से गया,
अमरत्व मुझको मिल गया!!
पा गया अमृत मैं पावन,
जीवन चिरंतन हो गया है!
-0-
डॉ योगेन्द्र नाथ शर्मा "अरुण"
पूर्व प्राचार्य,74/3,न्यू नेहरु नगर,रुड़की-247667
Vaah sundar prastuti badhayi
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ReplyDeleteवाह इतना सुन्दर गीत योगेंद्र जी ।बहुत माने रखती हैं यह पंक्तियाँ - उपकार से परिचय हुआ /अपकृत जैसे मैं हो गया / जब सुख दिये संसार को / मैं सुखी खुद हो गया । काश सारे पर उपकार की महिमा समझ पाये ।संसार स्वर्ग न हो जाये ।बधाई शुभ कामनाये ऐसी गीत रचना के लिये ।
ReplyDeleteबहुत सुंदर गीत बधाई
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल बुधवार (22-06-2016) को ""वर्तमान परिपेक्ष्य में योग की आवश्यकता" (चर्चा अंक-2381) पर भी होगी।
ReplyDelete--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
--
अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस की
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
उपकार से परिचय हुआ,
ReplyDeleteउपकृत मैं जैसे हो गया!
अति सुन्दर !
सुन्दर सन्देश के साथ एक प्यारी कविता योगेंद्र जी.... हार्दिक बधाई !
पतझर मिटा मन का मेरे,
ReplyDeleteजीवन ही सावन हो गया है!
वसुधा मेरी अपनी हुई,
विस्तार मुझको मिल गया!
अति सुंदर ! बधाई
योगेन्द्र जी बहुत सुन्दर रचना है | उपकार से परिचय हुआ उपकृत मैं जैसे हो गया |वाह |बधाई हो | यूँ ही रचते रहें ऐसी कामना करती हूँ |
ReplyDeleteबहुत सुंदर गीत
ReplyDeleteबहुत सुन्दर ।बधाई 👏
ReplyDeletesundar...
ReplyDeleteसुन्दर गीत के लिए बहुत बधाई...|
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