डॉ ज्योत्स्ना शर्मा
बरस बीतते एक दिवस तो
मेरी सुध आई
मन हिन्दी मुस्काई ।
गिट-पिट बोलें घर बाहर सब
नाती और पोते
नन्ही स्वीटी रटती टेबल
खाते और सोते
खूब पार्टी घर में अम्मा
बैठी सकुचाई
मन हिन्दी मुस्काई !
ओढ़े बैठे अहंकार की
गर्द भरी चादर
मान करें मदिरा का छोड़ी
सुधामयी गागर
पॉप,रैम्प के संग डोलती
बेबस कविताई
मन हिन्दी मुस्काई !
अपनों में अपनापन लगता
झूठा- सा सपना
कहाँ छोड़ आए हो बोलो
स्वाभिमान अपना
गौरव गाथा दीन-हीन की
जग ने कब गाई
मन हिन्दी मुस्काई !
आदरणीय भैया जी एवम बहन हरदीप जी
ReplyDeleteआपको हिंदी दिवस की बहुत सारी शुभकामनाएं ! माँ भारती ने आपके शुभ हाथों में इतना सुन्दर कार्य दिया है ये हिंदी का प्यारा कार्य,दिन दूनी रात चौगुनी तरक्की करे । ।आप लोगों के सारे स्वप्न पूरे हो ! … पुण्य कामना के साथ -
आदरणीय भैया जी एवम बहन हरदीप जी
आपको हिंदी दिवस की बहुत सारी शुभकामनाएं ! माँ भारती ने आपके शुभ हाथों में इतना सुन्दर कार्य दिया है ये हिंदी का प्यारा कार्य,दिन दूनी रात चौगुनी तरक्की करे । ।आप लोगों के सारे स्वप्न पूरे हो ! … पुण्य कामना के साथ -
ज्योत्स्ना जी बहुत सुन्दर कविता ! सच्चाई को उजागर करती। ............. हिंदी दिवस की बधाई ! साथ ही सुन्दर सृजन के लिए भी ढेरों बधाई
हिंदी दिवस पर सुंदर प्रस्तुति.
ReplyDeleteहिंदी दिवस पर आप सभी को अनेकानेक शुभकामनायें.
हिंदी की पीड़ा को प्रकट करती सुन्दर रचना
ReplyDeleteबधाई एवं शुभकामना हिंदी के चिर जीवन हेतु
आदरणीय भैया जी एवं तीनों सखियों को इस प्रोत्साहन हेतु बहुत बहुत आभार !
ReplyDeleteसभी को हिंदी दिवस पर हार्दिक शुभ कामनाएँ !!
सादर
ज्योत्स्ना शर्मा
सत्य -वर्णन करती सुंदर प्रस्तुति।
ReplyDeleteप्रिय ज्योत्सना जी हिंदी दिवस पर ढेर सारी शुभकामनाएं और बधाई के साथ ही आपको इतने प्यारे भाव लिए ये कविता रचने पर भी बधाई |
ReplyDeleteवाह !!मन हिंदी मुस्काई ...!!बहुत सुंदर ज्योत्सना जी !!आप सभी को हिंदी दिवस की शुभकामनायें !!
ReplyDeleteहिन्दी दिवस आया और चला भी गया हम भारतवासियों को याद तो आता है लेकिन हमारी पीढ़ी को कौन समझाये ।घर के वुजुर्गों के साथ बोलने मे भी उन्हें कठिन लगता है । बोलने पढ़ने की बातें तो पुरानी हो गई हैं न !इस केमान सम्मान की किसी को परवाह नही ।देश में आजकल बच्चों को इंगलिश मीडियम में पढ़ाने में शान समझते हैं ।मातृभाषा के प्रति सम्मान देने की भावना कैसे आ सकती है ।ज्योत्सना जी आप ने बहुत खूब कहा घर बाहर सब गिटपिट करते हैं ।हिन्दी की कविता बहुत अच्छी लगी ।हार्दिक बधाई ।
ReplyDeleteबहुत सुंदर प्रस्तुति ज्योत्सना जी........आप सभी को हिंदी दिवस की शुभकामनायें !
ReplyDeletegahan gambheer soch ...hardik badhai...
ReplyDeleteवाह! मन हिन्दी मुस्काई … बहुत ही सुंदर गीत सखी ज्योत्स्ना जी !
ReplyDeleteआप सभी को 'हिन्दी-दिवस' की हार्दिक शुभकामनाएँ !
~सादर
अनिता ललित
हिन्दी दिवस पर बहुत सुन्दर गीत. हिन्दी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ!
ReplyDeleteइस स्नेह ,सम्मान और प्रेरक उपस्थिति के लिए आप सभी का बहुत-बहुत आभार !
ReplyDeleteसादर
ज्योत्स्ना शर्मा
बहुत सुन्दर और सार्थक गीत रच डाला है आपने...मानो पूरी सच्चाई आकर आँखों के आगे खड़ी हो गयी हो...|
ReplyDeleteहार्दिक बधाई...|