1-कमला निखुर्पा
1
जब भी बिखरा
बाहर नीम अन्धेरा।
नेह से भरा
मेरे नैनों का दिया।
जल उठी फिर से
तेरी यादों की बाती
जगमग हुई
मन -देहरी।।
जब भी बिखरा
बाहर नीम अन्धेरा।
नेह से भरा
मेरे नैनों का दिया।
जल उठी फिर से
तेरी यादों की बाती
जगमग हुई
मन -देहरी।।
-0-
2-रामेश्वर काम्बोज ‘हिनांशु’
1
तेरी मुस्कान ने सींचा
जीवन का हर उजेरा
कि हारकर मुँह छुपा भागा
घेरे था जो अँधेरा ।
मन को जब-जब तुमने छुआ
हर छुअन बन गई दुआ।
यादें तेरी आरती के
दीपक- सी जलती रहीं,
सँजोकर तुम्हें प्राण -सी
युगों तक पलती रहीं।
पावन उर में क्या बसा!
मैं सारे सुख पा गया।
जब-जब गंगा नहाना था
द्वार तुम्हारे आ गया ।
-0-
3-गुंजन अग्रवाल
1
भजो सदा अनादि नाम शक्ति रूप
वन्दना ।
हरो त्रिलोक नाथ क्लेश कष्ट
दुःख क्रंदना ।।
वृषांक देह नीलकण्ठ शुभ्रता
उपासना ।
सदा करो कृपा प्रभो करूँ अनंत
अर्चना ।।
2
त्रिशूल हाथ रुद्रदेव उग्र रूप
क्यों धरे ।
नमो नमामि शक्तिनाथ वंदना सदा
करें ।।
बिसारि भूल भक्त देव पाप ताप
हो हरें ।
अनंत रौद्र रूप देख दैत्य है
सभी डरें ।।
3
अनंग सर्वशक्तिमान कंठ सर्प है
सजे ।
त्रिनेत्र रूप माथ चंद्र गंग
धार है धजे ।।
त्रिशूल हाथ वामअंग अम्बिका-हिये सजे ।
उपासना करे अनाथ भक्त मन्त्र
है भजें ।।
-0-
4-अनिता
मण्डा
ये गेहूँ
की बालियाँ
बाजरे के
सिट्टे
दुआ में
उठे हुए
जमीं के
हाथ जैसे ....
औलाद अगर
भूखी हो
तो
माँ को
नींद
नहीं आती
है....
-0-
मन को जब-जब तुमने छुआ
ReplyDeleteहर छुअन बन गई दुआ ….. Waah … Dua ki itni sundar paribhasha … adbhut …
भावों की निर्मल ,पावन गंगा ....और धन्य हुए हम !
ReplyDeleteयूँ ही अविरल बहे ....सभी रचनाकारों को हार्दिक बधाई ..शुभकामनाएँ !
सादर
ज्योत्स्ना शर्मा
बहुत सुंदर प्रस्तुति.
ReplyDeleteshiv ji ki stuti sahit sabhi rachanayen bahut sunder hain.gehun aur bajareki uthi baliyon - sitton mein ma ke hathon ka bimb niharana bahut khubsurat kalpna hai.sativk prem ka chiraag jahaan jalata hai vahaan kalushit tam thahar nahin sakta .shradhamishrit prem se uthe haath sada mangalkaamana ke liye hi uthe rahate hain , bada ho ya chhota. bhai jii, kamla ji gunjan va anita ji badhai .
ReplyDeletepushpa mehra
अनिता मण्डा, कमला निखुर्पा, गुंजन अग्रवाल, रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’, चारों की प्रस्तुतियाँ उत्तम। मन को जब-जब तुमने छुआ
ReplyDeleteहर छुअन बन गई दुआ।
यादें तेरी आरती के
दीपक- सी जलती रहीं,
सँजोकर तुम्हें प्राण -सी
युगों तक पलती रहीं।
काम्बोज भाई की रचना के दिल छुआ।
औलाद अगर
भूखी हो तो
माँ को नींद
नहीं आती है.... अनिता मण्डा की बेहतरीन पंक्तियाँ।
कमला जी, काम्बोज जी, गुंजन जी, अनीता मण्डा जी बेहद सुन्दर रचनाएं...आप सब को हार्दिक बधाई!
ReplyDeleteमन को जब-जब छुआ
हर छुअन बन गई दुआ।...लाजवाब पंक्तियाँ अंतर को छू गईं....नमन।
कमला जी, काम्बोज जी, गुंजन जी और अनीता जी आप सभी को सुन्दर सुन्दर रचनाओं की प्रस्तुति पर हार्दिक बधाई |
ReplyDeleteवाह! वाह! अतिसुन्दर! अभिव्यक्ति कितने रंगों में यहाँ सजी हुई है !
ReplyDeleteमन देहरी पर यादों की बाती, प्रिय के द्वार पर पावन गंगा की अनुभूति -अनुपम !
सावन के मौके पर बहुत ही सुंदर 'शिव वंदना' !
और दिल को भिगो जाने वाले दुआ में उठे हुए धरा के हाथ !
बहुत ही मोहक प्रस्तुति !
आप सभी रचनाकारों को हार्दिक बधाई !
~सादर
अनिता ललित
पावन उर में क्या बसा!
ReplyDeleteमैं सारे सुख पा गया।
जब-जब गंगा नहाना था
द्वार तुम्हारे आ गया ।
man moh liya in paktiyon ne bahut gahan aapke saath saath sabhi rachnakaron ko dher saari badhai...
आप सबके शब्द , शब्द नहीं बल्कि संजीवनी हैं जो रचना धर्मिता को सींचने का काम करते हैं।
ReplyDeleteजगमग हुई
ReplyDeleteमन -देहरी। sundar bhaav aashaavaadi , skaaraatmk chintan.
तेरी मुस्कान ने सींचा
जीवन का हर उजेरा
कि हारकर मुँह छुपा भागा
घेरे था जो अँधेरा ।
जब-जब गंगा नहाना था
द्वार तुम्हारे आ गया । maarmik kavitaa aashaavaadi , skaaraatmk chintan .
औलाद अगर
भूखी हो तो
माँ को नींद
नहीं आती है.... maan ki yhi haakiikt hoto hae , sundr bhaav
कमला जी, काम्बोज जी, गुंजन जी, अनीता मण्डा जी badhaai
कमला जी, बहुत प्यारी पंक्तियाँ...ढेरों बधाई...|
ReplyDeleteजब-जब गंगा नहाना था
द्वार तुम्हारे आ गया ।
काम्बोज अंकल, दिल को बड़ी गहराई से छू गई आपकी लिखी ये रचना...बहुत बधाई...|
गुंजन जी...शिव को समर्पित इस ओजपूर्ण रचना के लिए बधाई |
औलाद अगर
भूखी हो तो
माँ को नींद
नहीं आती है....
अनीता जी...हर माँ के लिए सच है ये...प्यारी सी रचना के लिए बहुत बधाई...|