अनिता ललित की 4 प्रेम कविताएँ
1-
बिना शर्तों के प्यार
प्यार कब नहीं होता फ़ज़ाओं में ?
आसमाँ से बिखरता हल्दी-कुंकुम-महावर,
हवा के मेहँदी लगे पाँवों में उलझती ,
सुनहरी पाजेब की रुनझुन,
आँचल में लहराते-सिमटते चाँद-सितारे,
सुर्ख़ डोरों से बोझिल ,
क्षितिज पर झुकती बादलों की पलकें,
फूलों से टँकी रंग-बिरंगी चूनर की ओट में ,
लजाते हुए धरा के सिन्दूरी गाल
प्यार कब नहीं होता फ़ज़ाओं में ?
काश! हम इंसान बिना शर्तों के प्यार कर पाते!
2-प्रेम का धागा
प्रेम का धागा
लपेट दिया है मैनें
तुम्हारे चारों ओर
तुम्हारा नाम पढ़ते हुए
तुमसे ही छुपा कर !
और बाँध दी अपनी साँसें
मज़बूती से सभी गाँठों में !
अब मन्नत पूरी होने के पहले
तुम चाहो तो भी उसे खोल नहीं पाओगे
बिना मेरी साँसों को काटे , !!!
काश! हम इंसान बिना शर्तों के प्यार कर पाते...~
3-प्रेम-अमृत
छलक उठी जब आँसू बनकर..
असहनीय पीड़ा प्यार की..
खोने ही वाली थी अस्तित्व अपना
कि बढ़ा दिए तुमने अपने हाथ
भर लिया उसे अँजुरी में.
और लगा लिया माथे से अपने.!
बन गई उसी पल वो
खारे पानी से. अमृत,
और हो गया.
अमर. हमारा प्यार!
-0-
4- धूप-बाती की तरह
धूप-बाती की तरह,
महकता है दिल में,
घुलता है आचरण में,
उतरता है साँसों में ,
हर उस शय के,
जो होती है आस-पास,
कर देता है सराबोर ,
पूरी क़ाइनात को !!!
-0-
बहुत मधुर...ह्रदयस्पर्शी...| हार्दिक बधाई...|
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रेमाभिव्यक्ति....हार्दिक बधाई!
ReplyDeleteबहुत सुन्दर
ReplyDeleteati sundar. badhai evam shubhkamnayen.
ReplyDeleteसराहना तथा प्रोत्साहन के लिए आप सभी हृदय से धन्यवाद एवं आभार।
ReplyDelete~सादर
अनिता ललित
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ReplyDeletesundar , madhur tatha hridysparshee ...hardik badhai anita ji .
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